July 2, 2024

ना नर्स हैं ना डॉक्टर देश के 80 फीसदी अस्पतालों में घटिया हैं मेडिकल सुविधाएं, सरकार के ही सर्वे में खुलासा

New Delhi/Alive News: भारत में सरकारी अस्पतालों की हालत बहुत खराब है। एक रिपोर्ट में पता चला है कि 80% सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं। सरकार ने खुद यह रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स और जरूरी उपकरणों की भारी कमी है। यह रिपोर्ट ‘नेशनल हेल्थ मिशन’ (एनएचएम) के तहत आने वाले सरकारी अस्पतालों की हालत बताती है। एनएचएम सरकार की एक अहम योजना है जिसके तहत देश भर के जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और आयुष्मान आरोग्य सेंटर्स आते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि एनएचएम के तहत आने वाले 2 लाख से ज्यादा अस्पतालों में से केवल 40,451 ने ही अपनी जानकारी सरकार को दी है।

सरकार ने अस्पतालों से जानकारी इकट्ठा करने के लिए ‘इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड’ (आईपीएचएस) नाम का एक डिजिटल टूल बनाया था। इस टूल के जरिए पता चला कि जानकारी देने वाले 40,451 अस्पतालों में से केवल 8,089 अस्पताल ही आईपीएचएस के मानकों पर खरे उतरे। यानी, इन अस्पतालों में ही मरीजों के इलाज के लिए बुनियादी सुविधाएं, डॉक्टर, नर्स और उपकरण मौजूद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 42% अस्पतालों ने आईपीएचएस के मानकों पर 50% से भी कम अंक हासिल किए। बाकी के 15,172 अस्पतालों को 50 से 80% के बीच अंक मिले। सरकार ने यह सारी जानकारी आईपीएचएस के डैशबोर्ड पर सार्वजनिक कर दी है।

फार्मा कंपनी सिप्ला लिमिटेड ने जानकारी दी है कि यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसअफडीए) ने 10 जून से 21 जून, 2024 तक गोवा में कंपनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के बाद, सिप्ला को फॉर्म 483 में दर्ज 6 निरीक्षण आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। सिप्ला ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में यूएसअफडीए कहा ने 10 से 21 जून 2024 तक गोवा में कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी का निरीक्षण किया है। निरीक्षण के बाद कंपनी को फॉर्म 483 में छह निरीक्षण संबंधी आपत्तियां जारी की गई हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह रिपोर्ट इसलिए तैयार की गई है ताकि यह पता चल सके कि अस्पतालों में क्या कमियां हैं। उन्होंने बताया, ‘हमारा मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सभी सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं, उपकरण और डॉक्टर मौजूद हों ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके।’ केंद्र का लक्ष्य है कि नई सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर 70,000 सरकारी अस्पतालों को आईपीएचएस के मानकों के अनुसार बनाया जाए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, हम राज्यों को अस्पतालों में सुधार के लिए पूरी मदद दे रहे हैं। हमारा मकसद सरकारी अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता में सुधार लाना है।

अधिकारी ने बताया कि जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का एनक्यूएएस मूल्यांकन पहले की तरह ही किया जाएगा। लेकिन, आयुष्मान आरोग्य मंदिर का मूल्यांकन अब वर्चुअली किया जाएगा। एनएचएम के तहत सबसे ज्यादा आयुष्मान आरोग्य मंदिर आते हैं। एनएचएम के तहत आने वाले अस्पतालों का 60 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठाती है जबकि बाकी 40% खर्च राज्य सरकारें उठाती हैं।