November 18, 2024

खिलाड़ियों को तलवार भांजते देख दर्शक हुए हैरान

Patna: बोले सो निहाल… सत्य श्री अकाल… के नारों के बीच पटना के गांधी मैदान में मंगलवार को सिख युवक गतका परफॉर्म कर रहे थे। खिलाड़ियों को तलवार भांजते देख दर्शक जोश में थे, लेकिन सबकी नजर ग्राउड के एक कोने में बैठी युवतियों पर थी। अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी से आईं इन लड़कियों को देख लोग यही सोच रहे थे कि ये कैसे गतका करेंगी।

विदेशी लड़कियों ने की तलवारबाजी…
विदेशी लड़के-लड़कियों का यह ग्रुप अमृतसर के मिरी पिरी से आया था। इस ग्रुप में शामिल सभी कलाकार विदेशी हैं। अपनी बारी आते ही लड़के लड़कियां आईं और गतका शुरू हो गया। एक लड़की आगे आई और अखारे के पहलवान की तरह ताव दिया और हवा में उछल कर कलाबाजी दिखाई। युवक और युवती लाठी से एक दूसरे पर वार करने लगे।

7 देशों के खिलाड़ी है इस टीम में
एक हाथ में लाठी और दूसरे हाथ में ढाल लिए कलाकार दूसरे पर वार के साथ अपने बचाव कर रहे थे। लाठी के बाद खिलाड़ियों ने तलवार उठा लिया और हवा में उसे लहराते हुए खेल दिखाने लगे। लड़की को बिजली की फुर्ती से तलवार भांजता देख भीड़ बोले सो निहाल के नारे लगाने लगी। इस ग्रुप में शामिल खिलाड़ी 7 देशों के थे। सिख धर्म अपनाने वाले इन युवाओं को जगत गुरु ने गतका सिखाया है।

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बेखौफ होकर हथियारों से खेलते हैं ये जांबाज
मंगलवार को गांधी मैदान में हुए गतका प्रतियोगिता में पूरे देश की 10 टीम के खिलाड़ियों ने परफॉर्म किया। सभी टीम को 15 मिनट का समय दिया गया था। नागपुर, बटाला और अमृतसर से आईं टीम के बच्चे इस मौके पर आकर्षण का केंद्र रहे। छोटे-छोटे बच्चे कभी हवा में उछल रहे थे तो कभी बिजली की रफ्तार से तलवार लहरा रहे थे। बच्चों के इन करतबों को दर्शकों की सबसे अधिक वाहवाही मिली।

लग रहा था डर कहीं कुछ हादसा न हो जाए
गतका खेल रहे कलाकारों को तेजी से तलवार घुमाता देख लग रहा था कि कहीं इनके हाथ से तलवार छूट गया तो क्या होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रोज की प्रैक्टिस से इस मुकाम तक पहुंचे खिलाड़ियों से कोई चूक नहीं हुई। इस मौके पर एक छोटा सा हादसा जरूर हो गया। एक खिलाड़ी सूर्य अस्त्र (जंजीर से जुड़ा लोहे का भारी गोले वाला हथियार, जिसके सतह पर तेज कांटे होते हैं) को तेजी से घुमा रहा था तभी जंजीर टूट गई। अस्त्र गतका देख रहे एक व्यक्ति के पास गया, उसे हल्की चोट लगी।

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क्या है गतका?
गतका एक मार्सल आर्ट है, जिसकी शुरुआत सिख धर्म के 10वें गुरु श्री गोविंद सिंह ने किया था। तब देश में मुस्लिम शासकों का राज था। अत्याचारी मुस्लिम राज के चलते गुरु अर्जन देव सिंह को शहादत देनी पड़ी थी। इसके बाद गुरु गोविंद सिंह ने कहा कि हथियार की भाषा समझने वाले को उसी की भाषा में जवाब देना होगा। इसके लिए गुरु जी ने अपने शिष्यों को युद्ध कला की ट्रेनिंग दी। यही युद्ध कला आगे जाकर गतका के नाम से प्रसिद्ध हुई।

गतका के तीन शब्द ग त का के भी अपने मतलब हैं। ग का अर्थ है गति, त का अर्थ है तालमेल और का अर्थ है क्का या समा। लड़ाई के माहौल के अनुसार तालमेल और गति से लड़ने वाले को युद्ध में फायदा होता है।