Faridabad/Alive News : सरकार ने जन औषधि केन्द्र बनाने की योजना सिविल अस्पतालों में बनाई थी, लेकिन यह योजना ढ़ाई वर्ष बाद भी सिरे नहीं चढ़ सकी। जबकि बीके सिविल अस्पताल की तरफ से स्थान समेत सभी प्रक्रिया पूरी कर दी थी। लेकिन जारी की गई लिस्ट में बीके सिविल अस्पताल का नाम ही शामिल नहीं किया गया। जिसके कारण मरीजों को आज भी दवाईयों के लिए निजी मेडिकल स्टोर संचालकों के हाथों लूटने को मजबूर होना पड़ रहा है।
जबकि देखा जाए, तो यहां करीब ढाई से साढ़े तीन हजार मरीज रोज आते है, जिन्हें पूरी दवाईयां नहीं मिलती, ऐसे में वह बाहर से दवा खरीदते है। वहीं इस विषय में देर शाम दौरे पर पहुंचे महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा डॉ. रणदीप सिंह पूनिया से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि सभी 22 जिलों के सिविल अस्पतालों में जन औषधि केन्द्र खोले जाऐंगे। जिसके लिए सभी सीएमओ को आदेश दिए है कि वह
सरकार के पोर्टल पर एप्लाई करें। 2022 में था केन्द्र खुलनाः जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह जन औषधि केन्द्र वर्ष 2022 में खोले जाने की बात कही गई थी। जन औषधि केन्द्र जिला नागरिक अस्पताल के अलावा जिला रेड क्रॉस सोसाइटी में भी खोला जाना था, लेकिन अभी तक इन केन्द्रों को खोले जाने पर कोई विचार नहीं किया गया है। जबकि जिले में जगह-जगह जन औषधि केन्द्र खोले जा रहे है।
कई स्थानों पर खुल रहे ये केन्द्र
जिले में खुलने वाले जन औषधि केन्द्रों पर दवाईयों पर 30 से ४० प्रतिशत रुपये तक की छूट मिलती है, लेकिन ये जन औषधि केन्द्र केवल विभिन्न स्थानों पर खोले जाते। है, जिनके बारे में लोगों को हो पता ही नहीं चलता। ऐसे में मरीजों को आर्थिक बोझ को झेलते हुए महंगी दवाईयां बाहर के मेडिकल स्टोर से खरीदने पर मजबूर होना पड़ता है। ऐसे में यदि वे केन्द्र सिविल अस्पगलों में खुल जाए, तो इन केन्द्रों को खोलने का मकसद पूरा हो जाएगा। लेकिन गरीबो की पहुंच से द दर ये जन औषधि केन्द्र खोले जा रहे है. इसका ताजा उदाहरण नेहरू ग्राउंड में एक हफ्ते पहले खुले मेडिकल स्टोर से देखा जा सकता है, जोकि बीके सिविल अस्पताल से करीब 700 मीटर दूर है। इसी से अंदाजा लगता है कि बीके में आने वाले मरीजों से इस जन औषधि केन्द्र को दूर रखा गया है।
कहीं निजी को फायदे के लिए तो नही?
बीके सिविल अस्पताल में जहां एक तरफ मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पताल में दवाईयों का टोटा हो रहा है। । लगातार दवाओं वाओं की कमी के कारण गरीब मरीजों को निजी मेडिकल स्टोरों के हाथों लुटने को मजबूर होना पड़ रहा है। ऐस ही बीके सिविल अस्पताल में देखने को मिल रहा है। लम्बी लाइनों में घंटो लगने के बाद भी मरीजों को दवाईयां नहीं मिल पा रही है। मरीज बीके सिविल अस्पताल के बाहर बने सुपर बाजार नामक मेडिकल से दवाईयां खरीदते है, जोकि उन्हें एक से से दो प्रतिशत तक की छूट पर ही मिलती है। ऐसे में बीके अस्पताल की बजाय नेहरू ग्राउंड में सात सौ मीटर की दूरी पर एक जन औषधि केन्द्र का एक हफ्ते पहले खुलना अपने आप में बड़ी बात है कि जहां मरीज है, वहां केन्द्र नहीं खुला और जहां मरीज पहुंच ही न पाए, वहां इस जन औषधि केन्द्र का खुलना अपने आप में एक बड़ी बात है। इससे अंदाजा होता। है कि गरीब मरीजो की तरफ स्वास्थ्य मुख्यालय ध्यान न देकर निजी को फायदा पहुंचा रहा है
लम्बी लाइनों के बाद भी न मिलती दवा
जिले के सिविल अस्पताल में फिलहाल मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के तहत मरीजों को निशुल्क दवाईयां उपलब्ध करवाई जाती हैं। लेकिन यहां लम्बी लाइनों में लगने के बाद भी दवाईयां पूरी मरीजों को नहीं मिलती। यहां महंगी दवाईयां तो मिलती ही नहीं है। इस योजना की शुरूआत से मरीजों को आर्थिक बोझ से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद जाहिर की गई थी। यहां कई बीमारियों में डॉक्टर मरीजों को ऐसी दवाईयां लिख देते हैं, जिसका खर्च गरीब तबके का मरीज नहीं उठा सकता। ऐसे में में इन औषधि केन्द्रों के खुलने से मरीजों को महंगी दवाईयां भी। बेहद सस्ते दामों पर उपलब्ध करवाने की बात कही गई थी। लेकिन बीके में जन औषधि केन्द्र न खुलने से मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर से दवाईयां खरीदनी पड़ती है।
दिया था स्थान व पूरी की थी प्रक्रिया कार्यकारी सीएमओ डॉ सविता यादव
ने बताया कि जन औषधि केन्द्र खोलने के लिए कागजात व स्थान मांगा गया था। जिसके तहत उन्होंने कागजात और स्थान के लिए जगह चयनित करके सभी कागज व पूरा प्रोसेस कर दिया था। लेकिन लिस्ट में नाम न आने के कारण जन औषधि केन्द्र नहीं खुला। हालांकि अभी प्रोसेस चल रहा है, उम्मीद है कि प्रक्रिया जल्द पूरी होगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए ब्लड बैंक। बैंक और जिला आयुष विभाग के निकट मौजूद दो कमरों की इमारत देने का निर्णय लिया था।
सचिव का कथन
जिला रेड क्रॉस सोसाइटी के सचिव बिजेन्द्र सौरोत से
इस विषय में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की और से फिलहाल पॉलिसी में फेरबदल कर दिया। गया था। पहले किसी संस्था की ओर से इन केन्द्रों को खोला जाने का प्रपोजल स्वीकार किया गया था लेकिन बाद में उ में उस संस्था की ओर से इस प्रोजेक्ट से अपना नाम वापिस लिए जाने के कारण यहां जन औषधि केन्द्र नहीं खोले जा सके। विभाग की ओर से सभी डिप्टी कमिश्नर्स को रातेंकरना है कि कहां जन औषधि केन्द्र बनाए जाने की आवश्यकता है और कहां नहीं। । इसके बाद रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।