January 23, 2025

खिलाडियों ने पुलिस की ओर से मिलने वाली सुरक्षा लौटाई

Delhi/Alive News: भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ धरने पर बैठे पहलवानों का दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना जारी है। विनेश फोगाट ने कहा कि हमने केंद्रीय खेल मंत्री (अनुराग ठाकुर) से बात करने के बाद अपना धरना समाप्त कर दिया था और सभी एथलीटों ने उन्हें यौन उत्पीड़न के बारे में बताया था। एक कमेटी बनाकर उन्होंने मामले को दबाने की कोशिश की, उस समय कोई कार्रवाई नहीं की गई।

विनेश ने खुलासा करते हुए कहा कि जंतर-मंतर पर बैठने से तीन-चार महीने पहले हम एक अधिकारी से मिले थे, हमने उन्हें सब कुछ बताया था कि कैसे महिला एथलीटों का यौन उत्पीड़न और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हम धरने पर बैठे गए। एक शक्तिशाली व्यक्ति के खिलाफ खड़ा होना मुश्किल है, जो लंबे समय तक अपनी शक्ति और स्थिति का दुरुपयोग करता रहा।

वहीं पहलवानों की मांगों को लेकर भाजपा सांसद मेनका गांधी ने समर्थन किया है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि यह अफसोस की बात है, भगवान करने उन्हें न्याय मिले।

इधर पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मिली पुलिस सुरक्षा को लेने से मना कर दिया है। खिलाड़ियों ने कहा कि अगर वे जंतर-मंतर पर भी सुरक्षित नहीं है, तो वे कही भी सुरक्षित नहीं है। वे यहां शांति पूर्वक अपना धरना दे रहे हैं। यहां रोजाना उनके समर्थन में लोग आ रहे हैं और जा रहे हैं। मगर, उन्हें किसी से भी कोई दिक्कत नहीं है।

वहीं रविवार को धरना छात्रों के साथ रहेगा। बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया के माध्यम से छात्रों का साथ मांगा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि स्टूडेंट्स फॉर रेसलर्स। इसी के साथ उन्होंने 3 मई बुधवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के नॉर्थ कैंपस आर्ट फैकल्टी गेट नंबर 4 पर दोपहर 12 बजे सभी छात्रों को आने का आह्वान किया। यहां से पहलवान और छात्र मार्च निकालेंगे। जिसके गेस्ट मुख्य तौर पर बजरंग पूनिया खुद होंगे। बृजभूषण शरण सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, ”जिन अध्यक्ष के घर आप आते थे, शादी में बुलाते थे, परिवार में आते थे, घुल-मिलकर रहते थे, जैसे एक परिवार हों। तब आपने कोई गोपनीय शिकायत नहीं की। आपको तब सारी दिक्कत हो जाती है, जब मैं एक पॉलिसी लेकर आता हूं।

ओलिंपिक में कौन जाएगा, कौन नहीं जाएगा, ये नियम बनाता हूं, तब आपको तकलीफ होती है। कुश्ती में सामान्य परिवार के बच्चे आते हैं। कहीं न कहीं उनके माता-पिता अपनी जरूरतों में कटौती करके बादाम-घी का इंतजाम करते हैं।

वे उम्मीद रखते हैं कि बेटा नेशनल, इंटरनेशनल खेलेगा। मैं आपको बताना चाहता हूं कि जिस मोदी जी की आज ये निंदा कर रहे हैं, जिस योगी जी की आज ये निंदा कर रहे हैं, दुनिया का कोई देश खिलाड़ियों को इतनी सहूलियत या पैसा नहीं देता, जितना हमारा देश देता है। कई देश तरसते हैं कि काश, हमें भारत से मौका मिलता।

उन्होंने कहा, ”शुरू में लगता था कि आंदोलन मुझ तक सीमित है और मुझे ही हटाना चाहते हैं। अब लगता है कि यह आंदोलन शुरू से राजनीति से प्रेरित है। हरियाणा, राजस्थान, लोकसभा का चुनाव आ रहा है। विभाजन कैसे हो, यह सोची-समझी रणनीति है।

अब इनकी पिक्चर खुलकर सामने आ गई है। इनके मंच पर वे सारे तत्व हैं, जो मोदी विरोध और भाजपा विरोध में बहुत दिनों से सक्रिय हैं। अगर ये खिलाड़ियों का धरना होता तो सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद यह धरना उठ गया होता। ये इस्तीफे पर नहीं अड़े हैं।

मेरा कार्यकाल पूरा हो गया है। जब तक नया चुनाव नहीं होता, मैं अध्यक्ष हूं। बाद में इनकी मांग आई कि सांसद पद से इस्तीफा चाहिए, जो भी पद हों, उसका इस्तीफा चाहिए। जिला अध्यक्ष, राज्यों के अध्यक्ष का भी इस्तीफा चाहिए। यानी न खाता, न बही, जो ये कहें वही सही?”