Faridabad /Alive News : प्राइवेट हॉस्पिटलों के अंदर खुले मेडिकल स्टोरों में प्रदान की जा रहीं महंगी दवाईयां के संबंध में उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका पर न्यायालय ने याचिकाकर्ता की चिंता से सहमति जताते हुए राज्यों से कहा है कि वह इस बारे में विचार कर पॉलिसी बनाएं। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया था कि उसने एक करीबी रिश्तेदार के इलाज के दौरान यह पाया कि निजी अस्पताल लोगों को अपनी ही फार्मेसी से महंगी दवा खरीदने के लिए बाध्य करते हैं।
समाजसेवी व हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि वे इस महत्वपूर्ण जनहित के विषय पर उचित कार्रवाई करें। उन्होंने कहा है कि निजी अस्पताल के मेडिकल स्टोरों पर महंगी दवाएं मिल रही हैं। जो दवाएं डॉक्टर द्वारा मरीजों को लिखी जा रही हैं,उसी साल्ट की सस्ती दवा बाजार के मेडिकल स्टारों पर सस्ती उपलब्ध हैं लेकिन डॉक्टर उनको सही नहीं मानते हैं इसीलिए मरीज़ महंगे दामों पर ही अस्पताल के मेडिकल स्टोर से ही महंगी दवाई खरीदने को मजबूर हो जाते हैं। बाहर के मेडिकल स्टोर से दवाइयों पर 10 से 20 प्रतिशत की छुट मिल जाती है और जितने दिन की दवाइयां चाहिए उतने दिन की मिल जाती है
लेकिन अस्पताल के अंदर खुली दुकानों से कोई छुट नहीं मिलती है और कटिंन में दवाई नहीं मिलती है वह पूरा पत्ता देते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीवी पर आकर सभी डॉक्टर व मरीजों से अपील कर रहे हैं कि वे जेनेरिक दवा लिखें व खरीदें। मरीज़ तो जेनेरिक दवाइयां लेने को तैयार हैं लेकिन डॉक्टर जेनेरिक दवाइयां लिखते ही नहीं हैं। मरीज के आपरेशन होने की स्थिति में आधा घंटे पहले तीमारदार को दवाएं की लिस्ट थमा दी जाती हैं। तीमारदार जल्दी में अस्पताल परिसर और नजदीकी मेडिकल स्टोर से उनकी खरीद मजबूरन मंहगे दामों में करता है। सोहम ट्रस्ट की अध्यक्ष प्रतिमा गर्ग व प्रक्रूथी ट्रस्ट की संस्थापक रमा सरना ने भी कहा है कि प्राइवेट अस्पताल के मेडिकल स्टोरों पर हो रही इस लूट व मनमानी पर रोक लगनी चाहिए।