Chandigarh/Alive News: शिक्षा विभाग के आदेशों को स्कूल गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वहीं, शिक्षा विभाग ने मामला स्कूलों में आयोजित होने वाली बाल सभाओं में खामियां मिलने के बाद स्कूलों को लताड़ लगाई है। साथ ही यह भी साफ किया है कि हर महीने के आखिरी शनिवार को बाल सभाओं को उचित तरीके से करवाया जाए, ताकि बच्चों का ओवरऑल विकास हो पाए। कक्षा छठी से लेकर 12वीं के विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास के लिए शिक्षा विभाग की तरफ से निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूूलों के विद्यक कैलेंडर तैयार किया गया है।
कैलेंडर में हर राष्ट्रीय दिन और त्योहारों पर एक्टिविटी करवाने और विद्यार्थियों को इसमें शामिल करने के आदेश हैं। माह के आखिरी शनिवार के आखिर के दो पीरियड में बाल सभाओं के लिए रखे गए हैं, इसका शिक्षा विभाग की टीम निरीक्षण करने पहुंची थी तो पता चला कि बाल सभाओं को संजीदगी से नहीं करवाया जा रहा है।
इससे बच्चों के विकास पर असर पड़ रहा है। विभाग ने पत्र में कहा है कि अब इस चीज को पुख्ता बनाया जाए कि आदेशों की पालना हो। साथ ही बाल सभाओं में सह विद्यक गतिविधियों को शामिल किया जाए। जैसे कि गायन, भाषण, सुंदर लेखन मुकाबले, परीक्षा संबंधी विषय, आसपास की सफाई, शारीरिक व मानसिक विषयों से जुड़े विषय शामिल हैं। इस संबंधी रिपोर्ट भी बनाकर स्कूलों को भेजनी होगी। याद रहे कि राज्य के 22 जिलों में बीस हजार स्कूल हैं। जिसमें लाखों विद्यार्थी शिक्षा हासिल कर रहे हैं।
इससे पहले जब डायरेक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन का पद सीनियर आईएएस अधिकारी कृष्ण कुमार संभाल रहे तो उनके समय में स्कूलों का नियमित औचक जांच करवाया जाता था। इसके लिए विभाग की तरफ स्पेशल टीमें गठित की हुई थीं, ताकि स्कूलों की खामियों को सुधारा जा सके। लेकिन उस समय देखने में आ रहा था कि स्कूलों में जो खामियां टीमें पकड़ती हैं, स्कूल उन्हें सुधारते नहीं हैं। इसके बाद उन्होंने स्कूलों को पत्र लिखकर कहा था स्कूलों की औचक जांच से कोई फायदा नहीं हो रहा है।