ब्रसेल्स 31 March : बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोई भी धर्म आतंकवाद नहीं सिखाता, हमें धर्म और आतंकवाद को अलग-अलग करना होगा। पढ़ें पीएम के संबोधन की 10 मुख्य बातें…
जब हम विदेश में जाते हैं तो राजदूतों को तो मिलते हैं, लेकिन लोकदूतों को मिलना एक सौभाग्य होता है। आप भारत के लोकदूत हैं। भारत की सांस्कृतिक परंपरा, भारत को दुनिया के सामने अपने व्यवहार, वाणी, विचारों से परिचित करवाते हैं, प्रभावित करते हैं। ऐसे सभी हजारों लोकदूतों को नमस्कार।
गत सप्ताह यहां भयंकर आतंकी घटना घटी। दुनिया के 90 देश किसी न किसी आतंकी घटना के शिकार हुए। आतंकवाद किसी देश या भूभाग को चुनौती नहीं है। यह मानवता को चुनौती दे रहा है। मानवता में विश्वास करने वाली दुनिया की सारी शक्तियों को एक साथ आकर आतंकवाद से मुकाबला करना होगा।
समय की मांग है कि दुनिया आतंकवाद की भयानकता को समझे। भारत 40 साल से आतंकवाद के कारण परेशान है। युद्ध में भारत ने जितने जवानों को नहीं गवाया, उससे ज्यादा जवान आतंकियों की गोलियों से शहीद हुए। आतंकवाद निर्दोषों के जीवन का दुश्मन बन चुका है।
जब धरती पैरों के नीचे से हिलने लगी तब दुनिया को पता चला कि आतंकवाद क्या होता है। 9/11 ने दुनिया को झकझोर दिया, तब तक दुनिया मानने को तैयार नहीं थी कि भारत कितने बड़े संकट को झेल रहा है, लेकिन भारत आतंकवाद के सामने झुका नहीं और झुकने का तो सवाल ही नहीं उठता।
सिर्फ बम, बंदूक से आतंकवाद को नहीं रोक सकते। हमें समाज में एक माहौल तैयार करना होगा। युद्ध क्या होता है, किसने क्या करना चाहिए, इससे क्या संकट होते हैं और रोकने के क्या तरीके होते हैं, लेकिन आतंकवाद को रोकने की पूछो तो संयुक्त राष्ट्र को इसे रोकने और इससे उबरने के बारे में नहीं पता।
आज पूरा विश्व आर्थिक संकट से भी गुजर रहा है। अच्छे से अच्छे देशों की अर्थव्यवस्था हिल चुकी है। ऐसे में दुनिया एक स्वर से कह रही है कि दुनिया की कोई आशा की किरण है तो वह ‘हिंदुस्तान’ है। यह मोदी के कारण नहीं, सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों की वजह से हुआ है। दुनियाभर में फैले हिंदुस्तानियों के कारण हुआ है।
हम वोट बैंक की राजनीति नहीं करते। जो वोट नहीं देते, उनका भी भला करते हैं। गरीबों को अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा में लाते हुए देश में 21 करोड़ नए बैंक खाते ‘जन-धन योजना’ के तहत खुले। गरीबों की अमीरी देखिए, 34000 करोड़ रुपये गरीबों ने बैंकों में जमा कराए। बैंक से लेकर भागने वाले अलग हैं और बैंकों में जमा करने वाले अलग हैं।
अगर मोदी के खिलाफ कहीं जोर से आवाज आई है तो समझ लेना की मोदी ने कहीं ‘चाबी टाइट’ की है। आवाज जितनी जोर से आएगी तो समझ लेना की ‘दाल में कुछ काला’ है.. कभी-कभी तो ‘पूरी दाल ही काली’ नजर आती है।
हमारे देश की सेना के जवान पिछले 40 साल से ‘वन रैंक-वन पेंशन’ की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकारें वादे करती रहती थीं। संतोष के साथ कहता हूं कि मां भारती के लिए जीने-मरने वालों को ‘ओआरओपी’ देना शुरू कर दिया है।
बांग्लादेश से जल-भूमि सीमा विवाद बातचीत से सुलझाया गया। कुछ पड़ोसी हैं, जिन्हें बात गले नहीं उतरती। अब पड़ोसी कैसे बदलेंगे… उन्हें भी कभी न कभी समझ आएगा।