November 24, 2024

शिक्षक तबादला संघर्ष समिति: शिक्षकों को राहत के लिए सरकार चलाये तत्काल ट्रांसफर ड्राइव

Chandigarh/Alive News: शिक्षक तबादला संघर्ष समिति का साफ मानना है कि यदि अब ट्रांसफर नहीं किए गए तो न केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी बल्कि शिक्षा विभाग में मामला होच-पोच भी होगा। उपरोक्त दावा संघर्ष समिति के राज्य प्रधान कृष्ण कुमार निर्माण, राज्य महासचिव रामनिवास संगोही और प्रदेश प्रवक्ता ऋषिराज नरवाल ने किया। राज्य प्रधान कृष्ण कुमार निर्माण ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि अभी लोकसभा चुनाव से पूर्व 2004 में लगे जेबीटी के 400, 2008 में लगे जेबीटी के 161, 2011में लगे जेबीटी के 1103 और 2017 में लगे 9190 जेबीटी के शिक्षकों के अंतरजिला तबादले हुए, जिनके कारण कई स्कूलों में जरूरत से अधिक संख्या में शिक्षक हो गए और बहुत सारे स्कूल शिक्षक रहित ही हो गए। परिणाम स्वरूप प्रदेश भर के ट्रांसफर हुए जेबीटी के साठ प्रतिशत का वेतन कई महीनों से अटका पड़ा है और भी कई तरह की समस्याएं आ रही हैं जैसे कि एचआरएमएस (HRMS) पर पोस्टें शो नहीं हो रही आदि। ये सभी 10854 टीचर अभी अस्थाई स्टेशनों पर हैं। इसी प्रकार इससे पहले भी अंतरजिला तबादलों में 2576 शिक्षक गए थे, वो भी अस्थाई स्टेशनों पर हैं।

अतः कुल मिलाकर 13430 जेबीटी अस्थाई स्टेशनों पर बैठे हैं और मामला तब तक नहीं सुलझेगा जब तक कि ट्रांसफर नहीं होगी और गजब यह भी है कि जेबीटी के ट्रांसफर अभी तक केवल एक बार 2016 में ही हुए हैं, उसमें भी बहुत सारे प्रभावित हुए थे, जिनको आठ साल बाद तक राहत नहीं मिली है। इस बीच जेबीटी की टीजीटी इंग्लिश पर प्रमोशन हो चुकी है जो कि दो सौ के लगभग है। दो बार प्रिंसिपल की प्रमोशन लिस्ट आ चुकी है, जिसमें पहली लिस्ट में 360, दूसरी में लगभग 200,पीजीटी हिंदी प्रमोटी 363,संस्कृत पीजीटी प्रमोटी 283 मतलब कुल मिलाकर 1406। इसके अलावा सीधी भर्ती में पीजीटी फिजिकल लगे हैं लगभग 200, अभी टीजीटी इंग्लिश हैं 95 और भी प्रमोशन सूचियाँ आ रही हैं जो कि लगभग जेबीटी की टीजीटी पर हैं, प्रिंसिपल की हैं, पीजीटी की हैं जो कि लगभग सारी मिलाकर चार हजार के आस-पास हैं, वो सब भी टेम्परेरी स्टेशन पर हैं यानि कुल मिलाकर 6000 के टीचर टेम्परेरी स्टेशनों पर बैठे हैं और इनमें से बहुत सारे एनिवेहर हैं,जिनमें बहुत सारी महिला शिक्षिकाएं भी हैं। 2022 में हुई ट्रांसफर के बाद काफी विवाद होने पर लगभग दो हजार शिक्षकों का डेपुटेशन भी किया गया था जो कि कायदे से छह महीने से ज्यादा नहीं होता मगर उसे दो साल बीत चुके हैं,तीसरा पूर्ण होने को है। अतः कुल मिलाकर आठ हजार अपर टीचर और चौदह हजार जेबीटी टीचर, कुल मिलाकर 22000 टीचर टेम्परेरी स्टेशनों पर बैठे हैं। जिसके कारण शिक्षा की गुणवत्ता तो प्रभावित होती ही है, साथ ही विभाग का सारा मामला होच-पोच होता है। इतना ही नहीं प्रदेश भर के पीएमश्री और मॉडल स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी है और तो और फिलहाल विभाग द्वारा सेंटा परीक्षा का भी आयोजन नहीं किया जा रहा है। अतः इन सब समस्याओं का एक ही समाधान है कि तत्काल ट्रांसफर ड्राइव चलाया जाए।

राज्य प्रधान कृष्ण कुमार निर्माण ने सुझाव दिया कि अगर सरकार और विभाग सभी की ट्रांसफर ड्राइव नहीं चलाना चाहता तो भी कोई बात नहीं कम से कम जितने शिक्षक अस्थाई स्टेशनों पर बैठे हैं, उनकी ही ड्राइव चला दे ताकि सभी स्कूलों में शिक्षक उपलब्ध हो सके। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि उसके बाद पद खाली रहते हैं तो फिर एचकेआरएन के तहत शिक्षकों को भर्ती करने का सुअवसर सरकार के हाथ लगेगा। उन्होंने कहा कि यदि अब ट्रांसफर ड्राइव नहीं चला तो जहां सरकार की ड्रीम पॉलिसी ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी की बदनामी होगी, वहीं शिक्षकों की नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी।

अतः समिति मांग करती है कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए, शिक्षा विभाग को होच-पोच होने से बचाने के लिए, शिक्षकों को राहत देने के लिए तत्काल ट्रांसफर ड्राइव चलाया जाए।