New Delhi/Alive News : अफगानिस्तान में तालिबान को खड़ा करने में पाकिस्तान का सहयोग किसी से छिपा हुआ नहीं है. काबुल पर तालिबान के कब्जे को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) जश्न मना रही है, और उनकी पार्टी की एक नेता ने कश्मीर को लेकर सनसनीखेज दावा किया है.
पाकिस्तानी नेता नीलम इरशाद शेख ने कहा है कि तालिबान पाकिस्तान के साथ है. तालिबान आएगा और वो कश्मीर जीतकर पाकिस्तान के सुपुर्द कर देगा. नीलम इरशाद ने यह विवादित बयान पाकिस्तान के ‘बोल’ टीवी पर एक बहस में दिया. माना जाता है कि लंबे समय से तालिबान के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से गहरे संबंध हैं.
नीलम इरशाद का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान पर तालिबान आतंकियों की खुलेआम मदद करने का आरोप लग रहा है. अफगानिस्तान में युद्ध के दौरान हजारों आतंकवादी पाकिस्तान के कबायली इलाकों से अफगानिस्तान चले गए. जानकारों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की मदद से अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबान का राज आ गया है.
बहरहाल, टीवी डिबेट में नीलम इरशाद ने कहा, ‘इमरान सरकार बनने के बाद पाकिस्तान का मान बढ़ा है. तालिबान का कहना है कि हम आपके साथ हैं और इंशा अल्लाह वे हमें कश्मीर जीतकर देंगे.’
जब टेलीविजन एंकर ने उनसे पूछा कि तालिबान आपको कश्मीर देगा, आपको यह किसने बताया. इस पर नीलम इरशाद ने कहा, ‘भारत ने हमें बांट दिया है और हम फिर एकजुट होंगे. हमारी फौज के पास पावर है, सरकार के पास पावर है. तालिबान हमारा समर्थन कर रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान ने उनका समर्थन किया था जब उन पर अत्याचार हुआ था. अब वह हमारा साथ देंगे.’
नीलम इरशाद ने कहा, ‘पाकिस्तान के ग्रीन पासपोर्ट की इज्जत शुरू हो गई है. पाकिस्तान में इन्वेस्टर्स आ रहे हैं. विदेशी कंपनियां आ रही हैं. राजस्व बढ़ गया है. पूरी दुनिया में पाकिस्तान का टॉप पर नाम है. तुर्की की सरकार को देख लें, मलेशिया की सरकार को देख लें, और अफगानिस्तान को देख लें… और वो तालिबान कहते हैं कि वो हमारे साथ हैं. इंसा अल्ला वो हमें कश्मीर फतह करके देंगे.’ नीलम इरशाद जब यह बात बोल रही थीं, एंकर और पैनल में बैठे अन्य लोग हंस रहे थे.
पाकिस्तान की नीलम इरशाद कश्मीर मसले पर तालिबान के साथ आने का दावा कर रही हैं लेकिन अपनी छवि सुधारने में लगा आतंकी गुट पहले ही कह चुका है कि उसका इस मुद्दे से कोई लेना देना नहीं है. तालिबान कश्मीर मुद्दे को भारत-पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय और आंतरिक मामला बता चुका है.
बातचीत में तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा था कि तालिबान भारत और पाकिस्तान के बीच प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा नहीं बनना चाहता है. उनका कहना था, हम भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं. हम आजादी के लिए लड़ने वाले लोग हैं; हम अफगानिस्तान के लोग हैं. हम कब्जे के खिलाफ लड़ रहे हैं.
न्यूज एजेंसी से बताया कि कश्मीर तालिबान के एजेंडे में नहीं है. कश्मीर में बढ़ते आतंकवाद पर चिंताओं के बीच एक अधिकारी ने कहा कि घाटी में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. अफगानिस्तान में पाकिस्तान स्थित आतंकी गुटों के पास युद्धग्रस्त अफगानिस्तान के हालात का इस्तेमाल करने की क्षमता बहुत कम है.
चिंता यह है कि तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान आतंकवाद का केंद्र बन सकता है, उनके पास उन सभी हथियारों तक पहुंच है जो अमेरिकियों ने आपूर्ति की है और अफगान राष्ट्रीय सेना के जवानों के हथियार भी हैं.
अफगानिस्तान में तेजी से बदलती स्थिति से परिचित सूत्रों ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और लश्कर-ए-झांगवी जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों की अफगानिस्तान में मौजूदगी है. उन्होंने तालिबान की मदद से काबुल के कुछ गांवों और कुछ हिस्सों में चौकियों का निर्माण किया है.
सूत्रों के हवाले से कहा, अतीत में अफगानिस्तान में पाकिस्तानी संगठनों के कैम्प थे. इसलिए हमें जम्मू-कश्मीर में सावधान रहना होगा. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के तालिबान को प्रभावित करने की कोशिश की संभावना पर चिंता जताई गई है. हालांकि, अधिकारी ने कहा कि इसकी संभावना कम है कि पाकिस्तान ताकतवर हो चुके तालिबान को प्रभावित कर ले. तालिबान ने अब सत्ता हासिल कर ली है. कमजोर होने पर तालिबान पर पाकिस्तान के हावी होने की संभावना ज्यादा रहती है.