नियोजित शिक्षकों को मिले समान वेतन, क्वालिफिकेशन पर प्रश्नचिन्ह क्यों?
Bihar/Alive News : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि जब आपने नियोजित शिक्षकों को पढ़ाने के लिए रखा तब उनकी क्वालिफिकेशन पर क्यों आपत्ति नहीं जताई? लेकिन जब समान काम का समान वेतन देने की बात आई तो आपने उनकी क्वालिफिकेशन पर प्रश्नचिन्ह लगाया। जबकि उन्हीं शिक्षकों से पढक़र कितने छात्रों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। कोर्ट ने इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने का आदेश देते हुए कहा है कि यह कमेटी नियोजित करे कि शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तरह वेतन देने के लिए क्या अड़ंग आ रहे हैं और उसके लिए क्या कुछ किया जा सकता है?
न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल और न्यायधीश यूयू ललित की बेंच ने समान काम-समान वेतन पर लगभग एक घंटे तक चली सुनवाई के दौरान कहा कि वेतन आज नहीं तो कल बराबर देना ही होगा. नियोजित शिक्षक राज्य में कुल शिक्षकों के 60प्रतिशत हैं और उनके साथ ऐसी असमानता ठीक नहीं, उन्हें बराबरी पर लाना ही होगा। न्यायधीश ने सरकार के पक्ष को नहीं सुनते हुए बिहार सरकार को निर्देशित किया कि प्रधान सचिव स्तर के तीन पदाधिकारियों की कमेटी बनाकर शिक्षक संगठन से सलाह लेकर 15 मार्च से पहले सही आंकड़े के साथ रिपोर्ट सौंपे.
साथ ही भारत सरकार को भी निर्देशित किया गया है कि आपके द्वारा दिए जा रहे अंशदान के आंकड़े के साथ एएसजी भारत सरकार भी उपस्थित होंगे. इस केस की अगली सुनवाई अब 15 मार्च को होगी. बता दें कि, सर्वोच्च न्यायालय ने तकरीबन डेढ़ वर्ष पहले पंजाब और हरियाणा से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए पहली बार समान काम के बदले समान सुविधा देने के निर्देश संबंधित राज्य सरकार को दिए थे. जिसके बाद बिहार के तकरीबन दर्जन भर नियोजित शिक्षक संगठनों ने भी सरकार के समक्ष समान काम के बदले समान सुविधा का मसला उठाया.
सरकार के स्तर पर मामले का समाधान न होने पर शिक्षक संगठनों ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की. इस मामले में सुनवाई करते हुए पिछले वर्ष 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के हक में फैसला देते हुए सरकार को निर्देश दिए थे कि वह नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान सुविधा प्रदान करे. कोर्ट के फैसले का आकलन करने के बाद सरकार को ज्ञात हुआ कि समान काम के बदले समान सुविधा देने पर सरकार को अतिरिक्त 15 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी.
सरकार ने संसाधनों की कमी का हवाला देकर इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की थी और फिर सरकार की अपील के विरोध में शिक्षकों ने कैविएट दायर की. जिस मामले में सोमवार को पहली सुनवाई हुई है।