New Delhi/Alive News: 6वीं से 12वीं तक में पढ़ने वाली लड़कियों को फ्री सेनेटरी पैड मिलेंगे या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार काे सभी राज्य सरकारों को नोटिस भेजा है। फ्री सैनिटरी पैड देने को लेकर सरकारों को निर्देश जारी करने की मांग डॉ. जया ठाकुर ने की है। याचिका उनके वकील वरिंदर कुमार शर्मा और वरुण ठाकुर ने दायर की है।
मिली जानकारी के अनुसार सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने योजना के संबंध में केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी। कोर्ट ने इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की भी मदद मांगी। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता सोशल एक्टिविस्ट हैं और उन्होंने देश के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्राओं की स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया है।
कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि भारत में स्वास्थ्य का अधिकार राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों से निकला है। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिला अधिकार है जो जीवन और सम्मान के अधिकार की गारंटी देता है। 11 से 18 साल की गरीब किशोरियां मासिक धर्म और स्वच्छता के बारे में जागरुक नहीं हैं।
इसकी कमी के कारण कई लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं। याचिका में यह भी मांग की गई है कि सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और बोर्डिंग स्कूल में अलग टॉयलेट और सफाईकर्मी रखने का निर्देश जारी किया जाए। साथ ही मेन्सुट्रअल वेस्ट को निपटाने के तरीके को भी सिखाया जाए।
भारत में यह है मौजूदा स्थिति
देश में महिलाओं को फ्री में या कम दर पर पीरियड प्रोडक्ट देने की कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन जागरुकता के अभाव और प्रशासनिक लापरवाही के चलते ज्यादातर योजनाएं बीच में ही दम तोड़ देती हैं। बिहार सरकार ने स्कूली छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड दिए जाने की योजना चलाई थी। लेकिन बिहार के कई स्कूलों में लड़कों को भी फर्जी तरीके से इस योजना का लाभ दिया जाने लगा था।
इसके अलावा ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना तहत सैनिटरी नैपकिन एक रुपए प्रति पैड की दर से उपलब्ध कराया जा रहा है। राजस्थान सरकार ने इसके लिए 200 करोड़ रुपए का बजट जारी किया है।