November 13, 2024

EVM- VVPAT के वेरिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

New Delhi/Alive News : सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग से कुछ तकनीकी स्पष्टीकरण के बाद 100 फीसदी ईवीएम-वीवीपीएटी (EVM-VVPAT ) वेरिफिकेशन पर फैसला सुरक्षित रख लिया। 100 फीसदी EVM-VVPAT वेरिफिकेशन के लिए दायर याचिका की सुनवाई कर रही जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने चुनाव आयोग से कुछ स्पष्टीकरण मांगा और फिर मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

करीब 40 मिनट तक चली सुनवाई के बाद जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं। हमारे कुछ सवाल थे जिसके जवाब चुनाव आयोग से मिल गए हैं और फैसला सुरक्षित रखा जा रहा है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग ने मतदान के लिए इस्तेमाल होने वाली वोटिंग मशीन और इसके बाद वोटिंग की पुष्टि करने के लिए दी जाने वाली VVPAT स्लिप को लेकर सुनवाई कर रही है और इसकी तकनीकी जानकारी को समझने के लिए चुनाव आयोग को तलब किया था।

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को क्या बताया
चुनाव आयोग (ECI) ने कोर्ट को बताया कि EVM में माइक्रोकंट्रोलर की फ्लैश मेमोरी को दोबारा प्रोग्राम नहीं किया जा सकता है। सुनवाई के दौरान, पीठ ने EVM और VVPAT की कार्यप्रणाली और उनकी सुरक्षा विशेषताओं को समझने के लिए भारत के चुनाव आयोग के एक अधिकारी के साथ व्यापक बातचीत की। ECI ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में EVM के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और VVPAT स्लिप की पूरी गिनती व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।

EVM- VVPAT को लेकर क्या है याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने EVM के हैक फ्री होने पर संदेह जताया था, जिसके सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज पूछा कि क्या वह केवल हैकिंग और हेरफेर के संदेह के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के संबंध में निर्देश जारी कर सकता है, जबकि इसका कोई ठोस सबूत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालों में एसोशिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), अभय भाकचंद छाजेड़ (Abhay Bhakchand Chhajed) और अरुण कुमार अग्रवाल शामिल हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं में से एक ने कहा कि प्रत्येक EVM वोट का मिलान VVPAT पर्चियों से किया जाए। इस केस में याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े पैरवी कर रहे हैं।

ADR की तरफ से दायर एक अन्य याचिका में कहा गया है कि VVPAT पर्चियों का मिलान EVM के जरिये डाले गए वोटों से किया जाना चाहिए ताकि मतदाता यह पुष्टि कर सकें कि उनका वोट ‘रिकॉर्ड के रूप में गिना गया है’ और ‘डाले गए वोट के रूप में दर्ज किया गया है।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- चुनाव को नहीं कर सकते कंट्रोल, सुधार की जरूरत पर जरूर उठाया जाएगा कदम
जस्टिस खन्ना ने वकील प्रशांत भूषण को जवाब देते हुए कहा कि अगर कोई गलत करता है तो उसके नतीजा पता है। जिस रिपोर्ट का हवाला याचिकाकर्ता दे रहे हैं, उसमें ही संदेह शब्द का इस्तेमाल है। वे खुद ही आश्वस्त नहीं हैं। अगर किसी चीज में सुधार की गुंजाइश है तो इसमें निश्चित सुधार करेंगे।

जस्टिस खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी दो बार दखल दिया है। पहली बार VVPAT जरूरी होने का फैसला दिया दूसरी बार 2018 में हमने इसे एक से बढ़ाकर 5 किया है। उन्होंने कहा, ‘जब हमने कहा कि क्या सुधार हैं, जो किए जा सकते हैं तो पहला जो जवाब था, वो ये कि बैलट पेपर्स पर वापस लौट आएं।’ सीनियर वकील संजय हेगडे ने कहा कि हर उम्मीदवार के लिए एक यूनीक बार कोड होना चाहिए। जवाब में जस्टिस दत्ता ने कहा कि अब तक तो ऐसी किसी घटना की रिपोर्ट नहीं आई है। मिस्टर भूषण हम चुनाव को या किसी और संवैधानिक अधिकारी को कंट्रोल नहीं कर सकते।

क्या हैं मौजूदा चुनाव में EVM को लेकर नियम
मौजूदा समय में चुनाव आयोग एक संसदीय क्षेत्र में हर विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केंद्रों से EVM की VVPAT पर्चियों का रैंडमली वेरिफिकेशन करता है। चुनाव आयोग पहले 2 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक निर्देश के संदर्भ में है, जिसने ECI को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक मतदान केंद्र से बढ़ाकर 5 मतदान केंद्रों तक वेरिफिकेशन बढ़ाने का निर्देश दिया था।

बता दें कि 2019 में करीब 21 विपक्षी दलों ने कुल EVM में से कम से कम 50 फीसदी VVPAT वेरिफिकेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उस समय केवल एक EVM का VVPAT स्लिप से मिलान किया जाता था। 8 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने यह संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी।