Delhi/Alive News : पतंजलि की ओर से दाखिल एक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) पर भी सवाल उठाए। अदालत ने इस मामले में आईएमए अध्यक्ष को नोटिस जारी कर 13 मई तक जवाब मांगा है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि आप पतंजलि पर भ्रामक विज्ञापन के लिए सवाल उठा रहे रहे थे, उनकी दवाओं को हटाने की मांग कर रहे थे, लेकिन आप क्या कर रहे हैं। आईएमए की ओर से अदालत में पेश वकील ने बचाव करते हुए कहा कि आइएमए अध्यक्ष का मकसद अदालत के बारे में गलत टिप्पणी करना नहीं था। इस पर बेंच ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह कोई मामूली बात नहीं है।
आइएमए अध्यक्ष ने मीडिया में सार्वजनिक तौर पर ऐसे मामले पर बात की जिसकी अदालत में सुनवाई चल रही है। अदालत ने कहा कि आईएमए की ओर से पेश अधिवक्ता का जवाब संतोषप्रद नहीं है। बेंच ने आईएमए अध्यक्ष के बारे में बोलते हुए कहा, “यह देखिए कि क्या उन्होंने अपना ही नुकसान कर लिया। देखते हैं, हो सकता है हम आपको एक मौका दें।” जस्टिस कोहली ने कहा, “एक बात हम साफ कर दें कि अदालत यह उम्मीद नहीं करती कि कोई पीठ पीछे कुछ भी बोले। अदालत को भी आलोचना का सामना करना पड़ा है, हम उसके लिए तैयार हैं, लेकिन…।” इस पर आईएमए की ओर से पेश वकील पीएस पटवालिया ने बेंच से आईएमए अध्यक्ष की ओर से माफी मांगते हुए अगली सुनवाई का मौका देने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि आईएमए अध्यक्ष को यह समझ आ गया है कि उन्हें अपनी जुबान बंद रखनी चाहिए थी। पीठ ने कहा, ‘मशहूर हस्तियों, प्रभावशाली, लोकप्रिय लोगों का उत्पादों के विज्ञापन में बड़ा योगदान होता है, ऐसे में यह जरूरी है कि वे किसी उत्पाद का प्रचार करते समय जिम्मेदारी के साथ काम करें। शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की ओर से दिए गए भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए ये बातें कही।