दैनिक जीवन में घटित होने वाली समस्याओं के समाधान पर कार्यशाला
Faridabad/ Alive News : प्रणव कन्या स्वतंत्र गांव में पढ़ रही अनाथ बालिकाओं को प्रार्थमिक संहिता नामक पुस्तक के लेखक डॉ. एम.पी. सिंह ने प्रार्थमिक संहिता का एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर नि:शुल्क लगाया। उन्होंने दैनिक जीवन में घटित होने वाली सभी समस्याओं के समाधान के लिए बच्चो को बताया। ताकि बच्चे दवाइयों से मुक्त अपना जीवन जी सकें। उन्होंने शिविरार्थियों से कहा कि जब आपको गुस्सा आने लगता है तब आप आसन पर आंखें बंद करके कुछ समय के लिए बैठ जाएं तत्पश्चात थोड़ा पानी पिए आपका गुस्सा शांत हो जाएगा, लेकिन फिर भी यदि गुस्सा आता है। उच्च चाह, बेचैनी या घबराहट होती है तो खुले हवादार चित्र में घूमने जाएं और थोड़े चने चबाते रहे निश्चित तौर पर आपको गुस्से से मुक्ति मिल जाएगी।
डॉ. एम. पी. सिंह ने बताया कि खाना खाते समय यदि गरम सब्जी आपके शरीर के किसी भाग पर गिर जाती है तो उसे ठंडे पानी से साफ करना चाहिए या नल के नीचे उस भाग को जब तक रखें जब तक कि उसकी जलन शांत ना हो जाए यदि गरम चाय गिर जाती है तब भी यही उपाय करना है। कई बार विद्यार्थी खेलते-खेलते पैसा मुंह में डाल लेते हैं और बगल में फंस जाता है या कोई भी वस्तु नाक में फंस जाती है तो गले और नाक से निकालने के आसान तरीके का भी अभ्यास कराया। उन्होंने बताया कि अधिक बुखार हो जाने पर ठंडे पानी की पट्टी सिर पर रखनी चाहिए, यदि उल्टी और दस्त हो जाते हैं तो एक गिलास पानी में एक चुटकी नमक और एक चम्मच चीनी मिलाकर जब तक पीते रहना चाहिए जब तक आप डॉक्टर के पास ना पहुंच जाए।
यदि आपको अनेको बार दस्त लग चुके हैं तो आधी चम्मच चाय की पत्ती पानी के साथ ले लेनी चाहिए तुरंत ही आपको आराम मिल जाएगा। यदि पेट में ज्यादा दर्द हो रहा है तो आजमाएं की फंकी लेकर आपको आराम मिल जाएगा या खाने वाला सोडा थोड़ा सा लेने से आपका पेट साफ हो जाएगा और दर्द भी खत्म हो जाएगा। यदि आपको गैस अधिक बन रही है और जी मिचला रहा है, सिर में दर्द हो रहा है, तो पुदीन हरा की चार पांच बूंद गुनगुने पानी में लेने से तुरंत आराम मिल जाता है।
डॉ. एम. पी. सिंह ने अनेकों बातों की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. एम. पी. सिंह ने एक विशेष हिदायत दी कि विद्यार्थी को जीवन में अपने गुरुओं का सम्मान करना चाहिए और अतिथियों का सत्कार भी करना चाहिए। हम राष्ट्र की धरोहर हैं इसलिए अच्छा ज्ञान प्राप्त करें और अपने शरीर को तंदुरुस्त रखें, किसी भी प्रकार का विकार शरीर में ना आने दे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी का जीवन बहुमूल्य है ज्ञान से ही इंसान की कदर होती है और ज्ञान के आधार पर ही उसको इज्जत मिलती है, इसलिए प्रभावी बोल-चाल के तरीकों को अपनाएं और व्यवहार कुशल बने।