New Delhi/Alive News : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्य सरकारों को यह साफ निर्देश दिया है कि अवैध रोहिंग्या प्रवासियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकाला जाए. लेकिन पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से महज 40 किमी दूर रोहिंग्या शरणार्थियों का एक नया अड्डा बन गया है. इससे ममता सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है. साफ लगता है कि ममता बनर्जी सरकार रोहिंग्या पर केंद्र सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी को लेकर गंभीर नहीं है.
राज्य के साउथ 24 परगना जिले के बरुईपुर थाना क्षेत्र में स्थित गांव हरदा में एक जमीन पर 16 अस्थायी कमरे बनाए गए हैं और वहां म्यांमार के रखाइन प्रांत से आए 29 रोहिंग्या को बसाया गया है. ममता बनर्जी सरकार का कहना है कि सभी रोहिंग्या आतंकी नहीं हैं, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि राज्य में म्यांमार के मुसलमानों की घुसपैठ बढ़ रही है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरे की बात है.
इस शिविर का दौरा किया. एक एनजीओ देश बचाओ सामाजिक समिति द्वारा स्थापित यह शिविर एक स्थानीय व्यक्ति हुसैन गाजी द्वारा संचालित किया जा रहा है. इसमें कतार में बांस और टीन शेड से बनाए गए कई मकान हैं. शिविर में रहने वाले मर्द काम की तलाश में बाहर गए थे, जबकि रोहिंग्या औरतें अपने बच्चों के साथ घर पर थीं. एक औरत का बच्चा तो सिर्फ दो महीने का है. हालांकि ये औरतें आजतक रिपोर्टर से बातचीत करने से हिचकती रहीं. शिविर के बाहर रोहिंग्या की मदद की अपील करता हुए एक बैनर भी लगा था, जिसमें लिखा गया है, ‘रोहिंग्या के जनसंहार का विरोध करने और असहाय, बेघर शरणार्थियों की मदद के लिए कृपया उदारता से दान करें.’
शिविर चलाने वाले हुसैन गाजी ने कहा कि उन्होंने मानवता के आधार पर यह निर्णय लिया है. उन्होंने बताया कि वे खुद बांग्लादेश गए थे और उन्होंने देखा है कि रोहिंग्या की कितनी दुर्दशा हो रही है. उन्होंने कहा, ‘पिछले साल मैं बांग्लादेश के कॉक्स बाजार गया था, जहां बांग्लादेश सरकार ने ज्यादातर रोहिंग्या को शरण दे रखा है. हम कोलकाता के कुछ सामाजिक संगठनों की तरफ से वहां राहत सामग्री लेकर गए थे.’ हालांकि गाजी इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए कि शरणार्थी रोहिंग्या बांग्लादेश से सीमा पार कर भारत कैसे आए. उन्होंने दावा किया कि शिविर में रहने वाले वयस्कों के पास वैध यूएनएचसीआर कार्ड है और पुलिस को इस शिविर के बारे में जानकारी दी गई है.
स्थानीय एसपी अरिजित सिन्हा ने कहा, ‘हमें इस शिविर के बारे में जानकारी है्. यहां रहने वाले लोगों के पास वैध UNHCR कार्ड हैं. वे संयुक्त राष्ट्र से रिकग्नाइज्ड शरणार्थी हैं और उनके लिए किसी तरह के पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं है.’
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 8 अगस्त को जारी एक एडवाइजरी में सभी राज्यों से कहा गया है, ‘देश में अवैध तरीके से रहने वाले सभी विदेशी लोगों की पहचान करें और उन्हें बाहर करें, क्योंकि वे न सिर्फ भारतीय नागरिकों का हक छीन रहे हैं, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती भी पैदा कर रहे हैं.’
लेकिन लगता है कि ममता बनर्जी सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है. गाजी ने कहा, ‘हमारी सीएम ममता बनर्जी ने खुलेआम घोषणा की है कि रोहिंग्या मुसलमान हमारे भाई हैं और वे यहां रह सकते हैं. इसलिए मैं सभी से यह अनुरोध करता हूं कि उन्हें सिर्फ मनुष्य समझें न कि केवल मुस्लिम शरणार्थी.’