November 17, 2024

वाईएमसीए में अक्षय ऊर्जा उन्नति को लेकर छह दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

Faridabad/Alive News : वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग द्वारा केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्वायत्त संस्था-विज्ञान प्रसार के सहयोग से अक्षय ऊर्जा में उन्नति एवं उद्यमिता विषय पर छह दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला का शुभारंभ आज कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने विधिवत रूप से दीप प्रज्वलन द्वारा किया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता विज्ञान प्रसार की विज्ञान संचार प्रशिक्षण शाखा में डिविजन हेड : साइंटिस्ट-एफ डॉ टी.एन. वेंकटेश्वरन रहे। इस अवसर पर कुल सचिव ड़ॉ संजय कुमार शर्मा तथा इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डॉ. मुनीष वशिष्टि भी उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन रशमी चावला द्वारा किया जा रहा है।

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डॉ. वेंकटेश्वरन ने मुख्य संबोधन में विद्यार्थियों को विज्ञान में अनुमानों और अवधारणाओं से आगे निकलकर कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान पौराणिक धारणाओं की तुलना में अधिक जांचा और परखा गया विज्ञान है, जिसमें उन्हीं धारणों को मान्यता दी जाता है जोकि वैज्ञानिक परीक्षणों पर खरी उतरती है। इस संदर्भ में उन्होंने अरस्तु और आर्यभट्ट द्वारा पृथ्वी के आकार को लेकर दी गई टिप्पणियों को जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को किताबो और वैज्ञानिक अनुमानों पर आधारित विज्ञान से आगे निकलकर अनुसंधान कार्य करने चाहिए।  अपनी अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को समझने के लिए प्रायोगिक अनुभव की सबसे ज्यादा अहमियत होती है और वाईएमसीए विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की व्यवहारिक शिक्षा पर अधिक बल दिया जाता है जोकि इस संस्थान को अन्य शिक्षण संस्थानों से बनाता है।

उन्होंने कहा कि अक्षय ऊर्जा के उपकरणों पर आधारित इस छह दिवसीय कार्यशाला में विद्यार्थियों को सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले उपकरण बनाना सीखेंगे और इस दौरान बनाई जाने वाली सोलर लालटेन विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिये गांवों को दी जायेंगी। इस तरह से विद्यार्थियों को सीखने का अवसर मिलेगा और उनके बनाए उपकरणों का उपयोग भी सुनिश्चित होगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुल सचिव डॉ. संजय कुमार ने कहा कि पारंपरिक ईंधन का भण्डार निरंतर कम हो रहा है जोकि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल नहीं है। ऐसे में अक्षय ऊर्जा न सिर्फ समय की मांग है, अपितु दीर्घकालीन समाधान भी है। उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े विद्यार्थियों को अक्षय ऊर्जा विकल्पों पर अधिक से अधिक काम करना चाहिए।