New Delhi/Alive News : सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से पूछा है कि गवाहों की सुरक्षा के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। दरअसल आसाराम मामले में गवाहों की हत्या और डराने-धमकाने के बाद उनके संरक्षण का दायरा बढ़ाते हुए शीर्ष अदालत ने गवाह संरक्षण कार्यक्रम को लागू करने में उठाए गए कदम की जानकारी मांगी है।
न्यायमूर्ति ए.के सिकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने अटॉर्नी जनरल की दलील सुनने के बाद इस मामले में सभी राज्यों को नोटिस भेजा है। पीठ ने कहा कि वास्तव में यह याचिका गवाह की सुरक्षा को लेकर है, ऐसे में बेहतर होगा कि सभी राज्यों को इस मसले में शामिल किया जाए। सभी राज्यों को चार हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है।
अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने पीठ की इस बात पर सहमति जताई कि जस्टिस डिलवरी सिस्टम को अधिक प्रभावी बनाने के लिए गवाहों की सुरक्षा बेहद जरूरी है। ताकि गवाह बिना किसी भय के अदालत में गवाही दे सकें।
शीर्ष अदालत आसाराम मामले में गवाहों की सुरक्षा के मसले पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने पाया कि आसाराम के खिलाफ चल रहे बलात्कार के दो मामलों में तीन गवाहों की हत्या हो चुकी है और करीब एक दर्जन लोगों पर जानलेवा हमले हुए हैं।
याचिकाकर्ताओं में से एक वर्ष 2001 से 2005 के बीच आसाराम का निजी सहायक रह चुका है। उस पर मई 2015 में पानीपत स्थित उसके निवास पर जानलेवा हमला हुआ था। अन्य याचिकाकर्ताओं में बलात्कार पीड़िता के पिता, मारे गए गवाह के पिता और एक पत्रकार शामिल हैं। पत्रकार पर भी जानलेवा हमला हो चुका है।
शुरू में जब यह मामला आया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, क्योंकि गवाह इन्हीं राज्यों से थे। अब पीठ ने याचिका का दायरा बढ़ाते हुए सभी राज्यों को शामिल कर लिया है।
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