November 16, 2024

सतयुग दर्शन विद्यालय ने हर्षोल्लास से मनाया हिन्दी दिवस

Faridabad/Alive News : सतयुग दर्शन विद्यालय में हिन्दी दिवस बड़े ही हर्षोल्लास व उत्साह के साथ मनाया गया। इस विशेष अवसर पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्यातिथि सीमा त्रिखा थीं, जो हरियाणा के बडख़ल क्षेत्र से एम.एल.ए हैं व चीफ़ पार्लियमेंटरी सेक्रेटरी ऑफ़ हरियाणा के पद पर भी नियुक्त हैंं। अन्य विशेष व गणमान्य अतिथियों में प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह चौहान उपस्थित थे, जो वर्तमान में हरियाणा ग्रन्थ अकादमी के डिप्टी चेयरमैन के पद पर नियुक्त हैं व इससे पूर्व कई महत्वपूर्ण पदभार संभाल चुके हैं।

प्रोफ़ेसर चौहान एक सफल पत्रकार, कवि, सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता तथा प्रचार-प्रसार माध्यम से जुड़े विशेष स्तम्भ के लेखक के रूप में जाने जाते हैं। इनके अतिरिक्त वाई.एम.सी.ए (फरीदाबाद) के रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त डॉ. संजय शर्मा भी पधारे। विद्यालय के प्रधानाचार्य आर.के.शर्मा ने इन्हें पुष्प-गुच्छ भेंट कर इनका स्वागत-सत्कार किया। सर्वप्रथम बच्चों ने इन विशेष अतिथियों के स्वागत में एक स्वागत-नृत्य प्रस्तुत किया तदुपरांत हिन्दी भाषा के महत्व को प्रतिपादित करते हुए अपने विचार प्रस्तुत किए व कविता-पाठ किए। कार्यक्रम में तब चार- चांद लग गए जब ये तीनों ही अतिथि हिंदी भाषा विषयक अपने-अपने विचार प्रस्तुत करने मंच पर आए और अपने संभाषण से सभी का मन-मोह लिया।

हिंदी दिवस के इस समारोह में अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रोफ़ेसर वीरेंद्र चौहान ने कहा कि हिंदी के मान-सम्मान की बहाली तब तक संभव नहीं जब तक हिंदी भाषी लोगों के मनों में हिंदी को लेकर उत्पन्न हुई हीनता की ग्रन्थियों को उखाड़ कर नहीं फ़ेंक दिया जाता। हिंदी को व्यवहार में लाने के लिए किसी भी भारतीय को गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। योंकि हिंदी भारत की राजभाषा है और राष्ट्रीय एकता की सूत्रधार बनने का सामथ्र्य रखती है।

कार्यक्रम की मुख्यातिथि त्रिखा ने सतयुग दर्शन ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए बच्चों को संबोधित किया व उन्हें कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें विद्या ग्रहण करने व अपना चरित्र-निर्माण करने का अवसर ऐसे आध्यात्मिक व प्राकृतिक वातावरण में मिला। अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि हमने समभाव दिवस को विश्व समभाव दिवस बनाने के लिए यू. एन. ओ. को प्रस्ताव भेजा।

सजन ने त्रिखा जी से यह भी कहा कि आपके पास तो मीडिया व साधनों की सुविधा दोनों उपलब्ध हैं, आप इस दिशा में ऐसा प्रयत्न करें कि शिक्षा प्रणाली में एक ऐसी व्यवस्था कायम हो जाए कि बच्चे को बचपन से ही समभाव सिखाया जाए क्योंकि ऐसा करने से ही समाज व देश से भ्रष्टाचार व आतंकवाद जैसी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं, इसी एक साधन द्वारा विश्व में शांति स्थापित हो सकती है और इसके लिए सरकार का सहयोग अति आवश्यक है। तभी मानव मानव बन कर रह सकता है।