Faridabad/Alive News: सीएमओ रणदीप सिंह पुनिया ने बताया कि ज़िला के हर कोविड लक्षण वाले व्यक्ति तक मेडिकल किट पहुंचाकर समुचित वितरण किया गया। उन्होंने बताया कि अब तक जिला में 40 हजार से अधिक मेडिकल किटों का वितरण हो चुका है। फरीदाबाद के शहरी व
ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल किट से उपचार व प्रशासन द्वारा गम्भीरता के साथ लोगों में जागरूकता लाने की बदौलत ने ही जिला में कोरोना की रफ्तार को धीमा कर दिया है। जिससे लगातार पिछले तीन सप्ताह से कोरोना मामलों में निरन्तर कमी दर्ज की जा रही है।
ग्रामीण क्षेत्र में कोविड लक्षण लोगों के लिए मेडिकल किट संजीवनी साबित हो रही है। बुखार, खांस, जुकाम आदि कोरोना लक्षण वाले मरीजों ने मेडिकल किट लेकर घर पर ही उपचार करके कोरोना को मात दी है। अब तक जिला के 127 गांवों में लगभग 40 मेडिकल किट का वितरण किया जा चुका है।
दूसरी लहर में शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना का फैलाव सरकार व प्रशासन के लिए चिंता विषय बन गया था। सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना की रफ्तार को रोकने के लिए आइसोलेशन सैंटर, ट्रेकिंग, टेस्टिंग आदि अनेक प्रभावी कदम उठाए गए हैं।
इसी कड़ी में फरीदाबाद के ग्रामीण क्षेत्र में कोविड लक्षण वाले मरीजों को घर द्वार पर मेडिकल किट का वितरण एक अनूठी पहल प्रशासन द्वारा चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ग्रामीण क्षेत्र के सभी विभागों के सहयोग से की गई, जिसके सार्थक परिणाम सामने आए हैं। जिला प्रशासन के आह्वान पर सामाजिक संस्थाओं,समाज सेवी संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने मेडिकल किट तैयार करने में सहयोग किया।
ग्रामीण क्षेत्र में कोविड लक्षण वाले मरीजों ने घर पर ही मेडिकल दवाईयों से अपना उपचार किया और स्वस्थ हो गए। जिला कोविड नोडल अधिकारी डॉ रामभगत ने बताया कि उन्होने प्रक्टिशनर चिकित्सकों और चिकित्सा विभाग के ग्रामीण क्षेत्र के स्टाफ के माध्यम से गांव में कोविड लक्षण के लोगों को मेडिकल किट दी थी।
उन्होंने बताया कि मरीजों ने दवाई का सही उपयोग किया और बचाव उपायों की पालना की, जिससे वे पूरी तरह से स्वस्थ हो गए। उन्होंने बुखार, खांसी आदि कोविड लक्षण थे। इनका मेडिकल दवाईयों से घर पर ही उपचार किया गया। कोविड नोडल चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मेडिकल किट से न केवल लोग घर पर ही स्वस्थ हुए बल्कि इससे संक्रमण की रफ्तार भी धीमी पड़ी है। गांव में ही लोगों को कोरोना का उपचार मिलने के चलते जहां शहर में अस्पतालों पर दबाव कम हुआ, वहीं रिकवरी रेट भी बढा है।