November 26, 2024

बुद्ध को याद कर PM मोदी ने दी गुरु पूर्णिमा की बधाई, कहा- जहां ज्ञान, वहीं पूर्णिमा

New Delhi/Alive News : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु पूर्णिमा और धम्म दिवस पर अपने संबोधन में देशवासियों को गुरुपूर्णिमा की बधाई दी. पीएम ने साथ ही भगवान बुद्ध को भी याद किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जहां ज्ञान है, वहीं पूर्णिमा है, वहीं पूर्णता है. ज्ञान संस्कार का प्रतीक है. पीएम ने गुरु पूर्णिमा पर देशवासियों को बधाई दी और भगवान बुद्ध को भी याद किया.

पीएम मोदी ने धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस और आषाढ़ पूर्णिमा की बधाई दी और कहा कि भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद अपना पहला ज्ञान संसार को दिया था. त्याग और तितिक्षा से तपे बुद्ध जब बोलते हैं तो केवल शब्द ही नहीं निकलते, बल्कि धम्मचक्र का प्रवर्तन होता है. पीएम ने कहा कि तब बुद्ध ने केवल पांच शिष्यों को उपदेश दिया था लेकिन आज पूरी दुनिया में उन शब्दों के अनुयायी हैं, बुद्ध में आस्था रखने वाले लोग हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि सारनाथ में भगवान बुद्ध ने पूरे जीवन का, पूरे ज्ञान का सूत्र हमें बताया था. उन्होंने दुख के बारे में बताया, दुख के कारण के बारे में बताया, ये आश्वासन दिया कि दुखों से जीता जा सकता है और इस जीत का रास्ता भी बताया. पीएम ने कहा कि बुद्ध के सम्यक विचार को लेकर आज दुनिया के देश भी एक दूसरे का हाथ थाम रहे हैं, एक दूसरे की ताकत बन रहे हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि आज कोरोना महामारी के रूप में मानवता के सामने वैसा ही संकट है. भगवान बुद्ध हमारे लिए और भी प्रासंगिक हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि बुद्ध के मार्ग पर चलकर ही बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना हम कैसे कर सकते हैं, भारत ने ये करके दिखाया है. इससे पहले पीएम मोदी ने ट्वीट करके भी देशवासियों को गुरु पूर्णिमा की बधाई दी.

गृह मंत्री ने भी दी बधाई
गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर गुरु पूर्णिमा की बधाई दी है. गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा है कि गुरु एक शिक्षक ही नहीं, बल्कि अपने ज्ञान से शिष्य के सभी दोष दूर कर हर संकट से बाहर निकालने वाला मार्गदर्शक भी होता है. उन्होंने आगे कहा है कि इससे वे न केवल शिष्य के जीवन को संवारते हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी अहम योगदान देते हैं. गुरु पूर्णिमा पर ऐसे सभी गुरुजनों को नमन करता हूं.

गौरतलब है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही वेद व्यास का जन्म हुआ था. वेद व्यास को ही वेदों का रचयिता माना जाता है. हिंदी कैलेंडर से वेद व्यास की जन्मतिथि को ही गुरुपूर्णिमा मनाई जाती है. इस दिन गुरुओं के पूजन की परंपरा रही है.