Faridabad/Alive News : भूपानी स्थित सतयुग दर्शन वसुंधरा ट्रस्ट का वार्षिक रामनवमी यज्ञ महोत्सव प्रात : 8.00 बजे सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ व रामायण के अखंड पाठ के साथ आरंभ हुआ। आरमिभक विधि के उपरांत सजनों को सत्संग के दौरान ट्रस्ट के मार्गदर्शक सजन ने बताया कि ब्राहृ पद सर्वोच्च पद है। इस पद की प्राप्ति प्रत्येक मानव जीवन का सर्वप्रथम व अंतिम लक्ष्य है। अत: निष्काम भाव से इस पद की प्राप्ति हेतु, अविचार छोड़, ब्राहृ शब्द पर विचार करो और ईश्वर को अनेक नामों से संबोधित करने की बज़ाय, उसके ब्राहृ होने का सत्य स्वीकारो।
आगे उन्होंने सजनों को नित्य अपने ब्राहृ स्वरूप की उत्कृष्टता में सचेतनता से बने रहने हेतु कहा कि शरीरों-तस्वीरों का ध्यान छोड़ कर, ब्राहृ शब्द को ही अपना गुरु बना लो। यह अपने अजर-अमर, असलियत ज्योति स्वरूप की पहचान कर, एक भला व नेक इंसान यानि सजन पुरुष बनने व अपने जीवन का प्रयोजन सिद्ध करने के लिए आवश्यक है। इस विषय में उन्होंने स्पष्ट किया कि शरीर और तस्वीर दोनों ही नश्वर है और रूप-रंग बदलते रहते हैं व कर्म अनुसार अपनी ही रची हुई किस्मत भोगते हैं पर ब्राहृ शब्द नित्य है, रूप, रंग, रेखा से बाहर है व सदा सम रहता है और कभी नहीं बदलता।
उन्होंनें ब्राहृ, जीव और जगत का सत्य जानने हेतु, सजनों से द्वैत युक्त भक्ति-भाव छोड़ कर, समभाव-समदृष्टि का युक्ति अपनाने का निवेदन किया। उन्होंने कहा कि इस युक्ति को अपनाने से ही अपने मन को अंकुश में रख, चित्तवृत्तियों को वश में कर पाओगे।
अंत में उन्होंने इस असली सिंगार को धारण करने हेतु, संतोष, धैर्य पर सुदृढ़ता से डटे रह, सच्चाई-धर्म के निष्काम रास्ते पर चलते हुए परोपकार कमाने के लिए प्रेरित किया और कहा कि वास्तव में जो अंतर्विद्यमान, अपने इस खालस चमकते हुए असली सिंगार को धारण कर लेगा वही परमतत्व का ज्ञान प्राप्त कर असलीयत में ब्राहृ पद पाने का अधिकारी सिद्ध हो सकेगा।