New Delhi/Alive News : देश के कई राज्य बारिश के पानी से लबालब हैं तो राजधानी दिल्ली बारिश के लिए तरस रही है. राजधानी के लोगों को मानसून का अब भी इंतजार है. यहां कई दिनों से पारा 40 के आस-पास है. गर्मी से हाल बेहाल है. गुरुवार शाम जलती-चुभती गरमी के बीच दिल्ली में अचानक चली हवाओं से दिल्लीवालों को लगा कि मौसम सुहावना हो जाएगा. गरमी से निजात दिलाने वाली बारिश होगी. लेकिन धूल के साथ चली हवा और हल्की आंधी बिना बारिश के ही खत्म हो गई.
देश के राजधानी में इस वक्त मानसून का शिद्दत से इंतजार हो रहा है. मौसम विभाग की मानें तो जून के अंत तक दिल्ली वालों को तपन से राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है और दिल्ली में आने वाले 7 दिनों में तापमान 40 डिग्री के आस-पास ही रहने का अनुमान है.
उत्तर प्रदेश, बिहार, और उत्तराखंड बारिश में भीग रहे हैं और दिल्ली सूखी-सूखी पड़ी है. मौसम विभाग की मानें तो 26 जून के आस-पास दिल्ली में हल्की बारिश का अनुमान है, लेकिन ये मानसून की बारिश नहीं होगी. सामान्य तौर पर मानसून 27 जून तक दिल्ली पहुंचता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में पहुंचता है.
दिल्ली बेशक पानी के इंतजार में हो लेकिन पहाड़ों पर भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं. आलम ये है कि कब कौन सा पहाड़ का हिस्सा भरभरकर सड़कों पर आ जाए कोई भरोसा नहीं. उत्तराखंड में जगह-जगह पर पहाड़ दरक रहे हैं. कई रास्ते बंद पड़े हैं. इस पूरे महीने उत्तराखंड में मध्यम से भारी बारिश की संभावना है. वहीं, शनिवार और रविवार को राज्य के देहरादून, टिहरी, पौड़ी, नौनीताल और अल्मोड़ा जिलों में गर्जन के साथ आकाशीय बिजली के चमकने का अनुमान है.
उत्तराखंड में इस वक्त नदियां उफान पर हैं. वैसे ही उत्तराखंड कई तरहों की आपदाओं के लिहाज़ से बेहद संवेदनशील माना जाता है. आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड में हर साल बाढ़, बारिश और भूस्खलन से 64 करोड़ का नुकसान होता है.
उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के लुमती गांव में नदी के पानी से कटान हो गई है. पूरा का पूरा रास्ता ही बह गया है. यहां के मोरीगांव के भी हालात कुछ ऐसे ही हैं. पिछले साल तबाही का मलबा जो यहां आया था, वो अब भी पड़ा हुआ है और लोग तबाह हुए घरबार को छोड़कर पलायन कर चुके हैं.
अभी तो मानसून की पहली लहर आई है और पिथौरागढ़ की सूरत बदल चुकी है. मुनस्यारी और पिथौरागढ़ को जोड़ने वाला ऑलवेदर रोड पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है. साथ ही लैंड स्लाइड के चलते कई गांवों और सड़कों पर खतरा है. उत्तराखंड के चमोली में भी पहाड़ भरभराकर गिरे हैं. जोशीमठ में मानसून की पहली बारिश ने कई पहाड़ों को ध्वस्त कर दिया है. जबकि रुद्रप्रयाग में बारिश से अलकनंदा उफनने लगी है.
इस नदी के किनारे रहने वालों से पहले ही घर खाली करवा लिए गए हैं. अलकनंदा नदी का पानी और मलबा लोगों के घरों में भी घुस गया है. यहां प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में भी नदी का मलबा भर गया है.