अमेरिका और रूस के बीच टेंशन सास-बहू के झगड़े की तरह है. इसमें कोई नई बात नहीं है. मगर रविवार को सामने आए रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के एक इंटरव्यू ने तहलका मचा दिया है. पुतिन ने अमेरिकी एंबेसी में तैनात 755 अमेरिकियों को देश छोडऩे का आदेश दिया है. 1 सितंबर की डेडलाइन भी तय कर दी है. इससे डॉनल्ड ट्रंप के आने के बाद अमेरिका-रूस संबंध सुधरने के कयासों को भी झटका लगा है. पुतिन ने भी इस पर मुहर लगाते हुए कहा कि निकट भविष्य में रूस के अमेरिका से रिश्ते सुधरने वाले नहीं हैं. अमेरिकी एंबेसी ने इस कदम पर काफी निराशा जाहिर की है.
डबल डोज से भडक़ा रूस
पुतिन ने यूं ही नहीं हंटर चलाया है. इस निर्णय के लिए अमेरिका ने ही आग में घी डालने का काम किया है. इसकी शुरुआत मोदी जी के मित्र बराक ने की थी. दिसंबर 2016 में अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में ओबामा ने 35 रूसी राजनयिकों को अमेरिका छोडक़र जाने का आदेश दिया था. इस पर तो रूस किसी तरह खून का घूंट पीकर रह गया. इसके बाद रूस के कथित दोस्त ट्रंप सत्ता में आ गए. उम्मीद जताई जा रही थी कि रिश्ते सुधरेंगे मगर अमेरिकी कांग्रेस की ओर से लगाए गए नए प्रतिबंधों ने जख्म हरे कर दिए. इसी के जवाब में रूस ने अमेरिकी राजनयिकों की घर वापसी का फरमान जारी किया है.
पुतिन ने कहा कि रूस में अमेरिका के राजनयिकों का स्टाफ बढ़ता ही जा रहा है. वहीं, रूसी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को अमेरिका से मांग की कि वे सितंबर तक अमेरिकी दूतावास से अपने स्टाफ में छंटनी कर 455 राजनयिक ही सेवा के लिए रखें. साफ है कि रूस का यह फैसला अमेरिका और उसके रिश्तों का तनाव और बढ़ा देगा. उधर, अमेरिकी कांग्रेस ने रूस पर यह प्रतिबंध लगाने के दो कारण गिनाए हैं. पहली वजह तो 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया को यूक्रेन से अलग करना है और दूसरा कारण 2016 के अमेरिकी चुनाव में मॉस्को द्वारा की गई कथित दखलंदाजी. अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने कहा कि वो रूस के लगाए प्रतिबंध के असर का आंकलन कर रहे हैं और साथ ही इस पर भी कि अब आगे अमेरिका क्या कदम उठाएगा.
455 ही क्यों?
रूस ने सितंबर तक अमेरिका से अपने स्टाफ में छंटनी कर 455 राजनयिक ही सेवा के लिए रखने को कहा है. सवाल उठता है 455 ही क्यों. वो इसलिए क्योंकि अमेरिका में रूसी दूतावास में 455 रूसी ही तैनात हैं. यह आंकड़ा तब निकलकर आया था जब अमेरिका ने 35 रूसी राजनयिकों को बाहर का रास्ता दिखाया था. अब जब रूस को मौका मिला तो वो भी बदला लेने से नहीं चूका. पुतिन के दावे पर सवाल भी हैं
इधर, 2012 से 2014 तक रूस में तैनात रहे अमेरिकी एंबेसडर माइकल मैकफॉल ने पुतिन के 755 राजनयिक स्टाफ संबंधी दावे को ही खारिज कर दिया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, क्या सच में 755 अमेरिकी वापस जा रहे हैं. जब मैं वहां था तब तो इतने अमेरिकी पूरी एम्बैसी में नहीं थे. साथ ही उन्होंने रूस को वीजा को लेकर धमकी भी दे डाली. कहा कि रशियंस को अमेरिकी वीजा के लिए अब हफ्ते से लेकर महीने भर का इंतजार करना पड़ सकता है.