Chandigarh/Alive News : हर दिन के बाद यहां रात होती है, हार-जीत मेरे दोस्त साथ-साथ होती है, कोई कितने भी बनाले हवा में महल, मिलता वही है ‘गुरु’ जो औकात होती है। यह शेर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू का ही है, बस अब लोग इसका मतलब निकालने में जुटे हुए हैं कि पंजाब कैबिनेट में सिद्धू को जो पद मिला क्या वह उनके कद से मेल खा रहा है? एक कहावत, चौबे जी छब्बे बनने चले थे दुबे जी बन कर लौट गए!
यह भी नवजोत सिंह सिद्धू पर कहीं न कहीं फिट बैठता है क्योंकि पत्नी ने अपनी सीट छोड़ी कि ‘गुरु’ चुनाव लड़ेंगे और जीते तो डिप्टी सीएम की कुर्सी पक्की। सिर्फ यही नहीं चुनाव से पहले और नतीजे आने के बाद तक इस बात की जबरदस्त चर्चा थी कि सिद्धू को पंजाब का डिप्टी-सीएम बनाया जा सकता है।
लेकिन हुआ क्या? कैबिनेट मंत्री के रूप में उनके शपथ ग्रहण के साथ ही इस चर्चा को विराम लग गया। कैप्टन की टीम में सिद्धू को स्थानीय प्रशासन, पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामले, आर्काइव्स एवं म्यूजियम जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसे में ये रहना गलत नहीं होगा कि डिप्टी सीएम बनते-बनते सिद्धू को म्यूजियम जैसे मंत्रालयों में ही समेट दिया गया है।