New Delhi/Alive News : राष्ट्रपति चुनावों में नीतीश कुमार के विपक्ष से अलग रुख के कारण कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने गोपाल कृष्ण गांधी के रूप में एक ऐसे प्रत्याशी की तलाश की है जिस पर मोटे तौर पर विपक्ष के सभी दलों के बीच सहमति बनने के आसार हैं. गोपाल गांधी महात्मा गांधी के पौत्र हैं. वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और राजनयिक रहे हैं और सिविल सोसायटी की नामी शख्सियत हैं. इससे पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए लगभग विपक्ष के सभी दलों के बीच पहले राउंड की शुरुआती चर्चा में भी उनका नाम उभरा था और किसी ने उनके नाम पर ऐतराज नहीं जताया था.
चुनने की वजह
दरअसल इसके पीछे भी सियासी वजहें हैं. महात्मा गांधी के सबसे छोटे पौत्र गोपाल गांधी की पारिवारिक जड़ें गुजरात में हैं. इस लिहाज से विपक्ष का मानना है कि उनके उम्मीदवार बनने से पीएम मोदी के लिए भी राजनीतिक स्थिति सहज नहीं होगी. संभवतया इन्हीं वजहों से नीतीश-लालू से लेकर सपा और बसपा को उनकी उम्मीदवारी सूट करती है. कांग्रेस से भी गोपाल गांधी के अच्छे रिश्ते हैं.
उसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि कांग्रेस ने ही 2004 में उनको पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया था. उस दौरान पश्चिम बंगाल में वामपंथी सरकार के समय गांधी की राज्यपाल के रूप में सक्रियता की तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी भी प्रशंसक रहीं. इस लिहाज से माना जा रहा है कि तृणमूल भी उनके नाम पर मुहर लगाने में गुरेज नहीं करेगी.
उल्लेखनीय है कि नौकरशाह से लेकर राजनयिक राजदूत के लंबे अनुभव के धनी गांधी लेखन और बौद्धिक जगत में अपनी खास पहचान रखते हैं.