September 30, 2024

10 साल से पजेशन का इंतजार कर रहे एडल डिवाइन सोसाइटी के लोगों ने बिल्डर के खिलाफ किया रोष प्रदर्शन

Faridabad/Alive News : बैंक की ओर से बिल्डर के दिवालिया घोषित होने के बाद सेक्टर 76 स्तिथ एडल डिवाइन सोसाइटी के लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं, क्योंकि बुकिंग के 10 साल बीतने के बाद भी उन्हें अब तक फ्लैट का पजेशन नहीं मिला है।

दरअसल, एरा बिल्डर ने 10 साल पहले सेक्टर 76 में एडल हाईराइज और लॉ राइस नाम के दो प्रोजेक्ट शुरू किया था। जिसमें कुल 2200 फ्लैट बनाए गए है। बिल्डर के दावे के अनुसार 850 परिवारों को 2015 तक पजेशन देना था। लेकिन बिल्डर को पूरे पैसे देने के बाद भी उन्हें अभी तक कोई फ्लैट का कोई पजेशन नही मिला है। यहीं नहीं पजेशन मिलने का इंतजार कर रहे कई बुजुर्गों का तो स्वर्गवास भी हो गया है।

लोगों का कहना है कि इस सोसाइटी में करीब 850 परिवारों में कुछ लोगों ने टू और थ्री बीएचके फ्लैट के लिए 80 से 85 फीसदी तक पेमेंट कर चुके है। लेकिन तभी अचानक बैंक ने बिल्डर को दिवालिया घोषित कर दिया। जिसके कारण लोगों की परेशानी बढ़ गई है। लोगों के मुताबिक अभी बिल्डर के प्रोजेक्ट के कई काम अधर में लटके है।

क्या कहना है लोगों का

आशीष अग्रवाल ने बताया कि सालों बीतने के बाद भी पजेशन नहीं मिलने पर लोगों ने 2018 में एनसीएलटी में बिल्डर के खिलाफ केस डाल दिया। लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। लोगों का कहना है कि इस संबंध में वह परिवहन मंत्री और केंद्रीय राज्य मंत्री से मिल चुके है लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए है। वहीं अब अगर बिल्डर और जिला प्रशासन बिल्डर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती तो वह इससे भी बड़ा प्रदर्शन करेंगे।

प्रीति चौहान ने आरोप लगाया कि एरा बिल्डर ने अपनी मर्जी से नाम बदलकर एडल लैंडमार्क कर लिया है। बिल्डर ने लॉ राइज सोसाइटी का निर्माण कार्य तो पूरा करवा दिया है और लोगो ने बिना पजेशन के ही लॉ राइज सोसाइटी में रहना शुरु कर दिया। परंतु बिल्डर ने एडल का निर्माण कार्य शुरु ही नहीं किया। यहां खरीदारों ने स्वयं ही नींव ड़ाली तथा काम शुरु किया परंतु फंड की कमी काम रुक गया है। लॉ राइज सोसाइटी में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। लोग बिजली पानी और सड़क जैसी जरूरी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

बिजली आने में लगे छह माह
विवेक कुमार ने बताया कि एडल डिवाइन में केवल बिजली आने में छह माह लग गए। क्योंकि बिल्डर ने बिल ही जमा नही किया था। लोग हर माह बिल्डर को बिल भरते रहे पर बिल्डर की ओर से विभाग को बिल नहीं भरा गया जिसके कारण यहां के लोगों ने छह माह तक बिजली की किल्लत से जूझते रहे।