New Delhi/Alive News : यूपी, पंजाब, गोवा समेत 5 राज्यों में चुनाव से पहले मोदी सरकार 1 फरवरी को बजट पेश करेगी। कांग्रेस समेत विपक्ष की 16 पार्टियों ने इस पर एतराज जताया है। प्रेसिडेंट और इलेक्शन कमीशन को लिखे लेटर में कहा, “अगर बजट तय वक्त से पहले पेश हुआ तो बीजेपी इसे चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी।” वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा, ”बजट में देरी की कोई जरूरत नहीं, 2014 में भी इलेक्शन से पहले ऐसा पेश हुआ था। ये वही पार्टियां हैं, जो कह रही थीं कि नोटबंदी के फैसले से कोई फायदा नहीं होगा। अब उन्हें बजट की चिंता क्यों हो रही है।” बता दें कि संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCPA) ने बजट सेशन का प्रपोजल तय कर प्रेसिडेंट के पास मंजूरी के लिए भेजा है। कमीशन रिव्यू करेगा…
– सीईसी नसीम जैदी ने बुधवार को कहा, ”कुछ पार्टियों ने मांग की है कि आने वाले इलेक्शन से पहले केंद्र सरकार को बजट पेश करने की इजाजत नहीं दी जाए। हम इसका रिव्यू करेंगे।”
– बुधवार को इलेक्शन कमीशन ने यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव की तारीखों का एलान किया। सभी राज्यों में 4 फरवरी से 8 मार्च के बीच वोटिंग होगी।
– मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रेसिडेंट को भेजे लेटर में विपक्ष ने 2012 के बजट का जिक्र किया है।
– लेटर में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने यूपीए-2 के टेन्योर का हवाला देते हुए कहा कि तब भी यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव थे, लेकिन यूपीए सरकार ने बजट को 16 मार्च तक के लिए आगे बढ़ा दिया था। जबकि मोदी सरकार ने ताजा फैसले पर विपक्ष की राय नहीं ली।
– राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, सीपीआईएम के सीताराम येचुरी, सपा से निकाले गए रामगोपाल यादव और जेडीयू के शरद यादव ने लेटर पर साइन किए हैं।
किसने क्या कहा ?
– अरुण जेटली:”ये वही पार्टियां हैं, जो कह रही थीं कि नोटबंदी के सरकार के फैसले से कोई फायदा नहीं होगा। तो अब उन्हें क्योंॉ बजट की चिंता क्यों हो रही है। बजट देरी से पेश करने की कोई जरूरत नहीं है। 2014 में भी बजट इलेक्शन से पहले पेश हुआ था।”
– मायावती:”हम इलेक्शन कमीशन से मांग करते हैं कि मार्च में चुनाव खत्म होने के बाद ही सरकार को बजट पेश करने की इजाजत दी जाए। क्योंकि इससे वोटर प्रभावित हो सकते हैं। 2012 की तरह वोटिंग के बाद ही सरकार बजट पेश करे।”
– नरेश अग्रवाल:”वोटर्स पर असर ना पड़े, इसलिए इलेक्शन कमीशन बजट सेशन को आगे बढ़ाने का ऑर्डर दे। यूपीए सरकार में भी ऐसा ही किया गया था।”
मंगलवार को मीटिंग में क्या हुआ ?
– सीसीपीए की मीटिंग में बजट सेशन पर चर्चा हुई। इस बार बजट सेशन 31 जनवरी से 9 फरवरी तक बुलाने का फैसला हुआ।
– फरवरी के आखिरी हफ्ते में बजट पेश होता आया है। सितंबर 2015 में सरकार कह चुकी है कि इस बार रेल बजट अलग से पेश नहीं होगा।
– कहा गया है कि सेशन के पहले दिन संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा और इसी दिन इकोनॉमिक सर्वे पेश हो सकता है।
– कैबिनेट की मीटिंग के बाद बजट सेशन का नया प्रस्ताव राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया है।
– मीटिंग राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई, जिसमें अनंत कुमार, रविशंकर प्रसाद और मुख्तार अब्बास नकवी समेत कई मंत्री मौजूद थे।
मोदी ने बताई थी इसकी वजह
– 27 दिसंबर को नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग की मीटिंग में हिस्सा लिया था। जिसमें इकोनॉमिस्ट्स और एक्सपर्ट शामिल थे।
– मीटिंग में पीएम ने कहा था, ”इस बार बजट पेश करने की तारीख पहले इसलिए रखी गई है, ताकि अगले फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत (1 अप्रैल) से ही खर्च के लिए पर्याप्त पूंजी मौजूद रहे।”
– बजट साइकल पर पीएम ने कहा था कि मौजूदा कैलेंडर में मानसून की शुरुआत के वक्त बजट खर्च को संसद की मंजूरी मिलती है। इसके पहले के महीनों में सरकारी कार्यक्रमों में सुस्ती होती है। सरकार की कोशिश है कि नए फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत तक खर्च को मंजूरी मिल जाए।