Faridabad/Alive News : मानव रचना के डिपार्टमेंट ऑफ स्टूडेंट्स वेल्फेयर और इंटर्नल क्वालिटी एश्योरेंस सेल एमआरआईआईआरएस की ओर से और महात्मा गांधी नेशनल काउंसिल ऑफ रूरल एडुकेशन (भारत सरकार) के सहयोग से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला महामारी के दौरान मनोवैज्ञानिक कौशल में सुधार के लिए मार्गदर्शन पर आयोजित की गई। ऑनलाइन आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में 200 ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया।
इस दौरान डॉ. डब्ल्यू जी प्रसन्ना कुमार ने कहा कि, कोविड समय में सबसे ज्यादा जरूरी एक दूसरे से बात करना है। आज लोगों को अपना दुख बांटने के लिए लोग चाहिए। हर कोई एक दूसरे से बात कर के अपना दुख कम करना चाहता था। हमें सबसे ज्यादा कोविड से रिकवर हुए लोगों का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि कोविड का आफ्टर इफेक्ट मानसिक रूप से लोगों को परेशान कर रहा है। उन्होंने अपने बारे में बताते हुए कहा कि, पिछले साल जुलाई में उन्हें कोविड हुआ और वह एक कमरे में 15 दिन तक बंद रहे। यह उनके जीवन का सबसे कठिन समय था। उन्होंने सभी जरूरी दवाइयों का सेवन किया। उन्होंने बताया आज भी वह ऑनलाइन सेशंस और क्लासिस के दौरान अपने पास सांस की दवा रखते हैं क्योंकि कोविड ने उन्हें अंदरूनी काफी नुकसान पहुंचाया है।
दूसरे सेशन में एमजीएनसीआरई के निदेशक प्रोफेसर चेतन चितत्लकार ने सभी को संबोधित किया। उन्होंने सर्व प्रथम मानव रचना का धन्यवाद किया। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि, जब हम प्लेन में सफर करते हैं तो कैबिन क्रू हर बार यही समझाता है कि ऑक्सीजन की कमी होने पर सबसे पहले खुद मास्क लगाएं फिर किसी और की मदद करें। उसी तरह कोरोना काल में हमें कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए और फिर लोगों को भी इसके लिए जागरूक करना चाहिए। कोरोना काल में सतर्क रहना ही सबसे जरूरी कार्य है।
कार्यक्रम में मानव रचना के डीजी डॉ. एनसी वाधवा, आरएमआर की डायरेक्टर डॉ. गुरजीत कौर चावला, आरजे और होस्ट भावना शर्मा, MNGCRE के डॉ. शत्रध्न भारद्वाज समेत कई लोग मौजूद रहे।