Faridabad/Alive News : “सखी सैयां तो खूब ही कमात हैं, महंगाई डायन खाए जात है” ऐसा गीत है जो भारत के न केवल वर्तमान बल्कि भूत और भविष्य के समय पर भी सटीक बैठता है। आज रुस- यूक्रेन युद्ध के चलते भारत में खाद्य तेल के दाम आसमान छूने लगे है। खाने के तेल के दामों में बढ़ोतरी का असर होली पर भी पड़ता दिख रहा है।
पाठकों को बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के चलते पिछले वर्ष लोगों ने नियमों की पालना करते हुए होली का त्यौहार सावधनी बरते हुए मनाया। इस वर्ष कोरोना के मामले इस समय नियंत्रित है, ऐसे में होली को लेकर लोगों के अंदर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है परंतु बढ़ती महंगाई रंग में भंग डाल रही है। होली पर घर-घर गुझिया, पापड़, चिप्स, मठरी और दूसरे पकवान बनाने के लिए खाद्य तेल खरीदा जा रहा है लेकिन इस बार खाद्य तेल काफी महंगा हो गया है।
खाद्य तेल के थोक कारोबारियों की माने तो एक हफ्ते पहले रिफाइंड की कीमत 2000 रुपये प्रति 15 किलो टिन थी, इस हफ्ते 2460 रुपये बिक रहा है। ऐसे में सिर्फ छह-सात दिनों में 15 किलो की टिन में 500 रुपये से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है। किराना बाजार पर भी खासा असर पड़ा है। रिफाइंड ऑयल की बढ़ती कीमतों के चलते बाजार में मिलने वाली मिठाइयां तथा अन्य पकवान भी महंगे होने की संभावना है।
कौन कौन सा तेल भारत करता है आयात
यूक्रेन और रूस के युद्ध से तेल महंगा हो गया है। भारत बड़ी मात्रा में सूरजमुखी का तेल यूक्रेन से आयात करता है। यूक्रेन में हालात के चलते ऐसे में माल कम आ पा रहा है। इसी वजह से सभी तरह के खाद्य तेलों के दाम बढ़ रहे है। युद्ध लम्बा चला तो रेट और अधिक बैठने की संभावना है।
थोक रेट : तेल पहले अब
सोयाबीन 140-170
पाम ऑयल 120-145
सरसों तेल 130-150
खुदरा रेट : तेल पहले अब
सोयाबीन 160-180
पाम ऑयल 130-155
सरसों तेल 170-185
(अलग ब्रैंड के रेट अलग हो सकते हैं)
क्या कहना है व्यापारियों का
युद्ध के चलते तेल के दाम बढ़ गए है। पहले 15 किलो रिफाइंड ऑयल की टिन की कीमत दो हजार से भी कम थी लेकिन अब अचानक से बढ़ गई है। कोरोना के कारण पहले ही आर्थिक परेशानी से जूझ रहे, युद्ध ने स्थिति और खराब कर दी है। ना चाहते हुए भी मिठाइयां तथा अन्य चीज महंगी करनी पड़ती है। ग्राहकों को डिस्काउंट भी दिया जा रहा है।
- एसपी जैन, ऑनर, आशीर्वाद रेस्तरां और बैंक्वेट हॉल।
युद्ध के चलते काफी चीजों के दाम बढ़ गए है। खाने- पीने की चीज भी महंगाई से अछूती नहीं है। इस समय रिफाइंड ऑयल का सबसे ज्यादा प्रयोग होता है, अभी ही दाम बढ़ गए। केंद्र सरकार को इस संबंध में कुछ करना चाहिए।
- गोकुल, बावर्ची।