Delhi/Alive News: जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नई खोज की है, जिससे रूटीन ब्लड टेस्ट से कैंसर का पता बहुत पहले से लग सकता हैं। यहां तक कि लक्षण दिखने से तीन साल पहले ही लगाया जा सकता है। इस रिसर्च में खून के प्लाज्मा की जांच की गई, जिसमें ट्यूमर से निकले डीएनए के छोटे-छोटे टुकड़े मिले। ये डीएनए के अंश खून में मौजूद रहते हैं और कैंसर की शुरुआती पहचान में मदद करते हैं।
दिल की जांच के सैंपल से हुआ कैंसर का पता
शोधकर्ताओं ने उन लोगों के पुराने ब्लड सैंपल्स की जांच की, जिन्होंने पहले सिर्फ दिल की बीमारी की जांच के लिए खून दिया था। बाद में उन्हीं में कैंसर पाया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि उनके खून में कैंसर से जुड़े संकेत पहले से ही मौजूद थे, भले ही उनमें कोई लक्षण नहीं थे।
जल्दी पता चले तो इलाज आसान। शोध के मुख्य लेखक डॉ. युशुआन वांग ने बताया कि अगर कैंसर का पता तीन साल पहले लग जाए, तो इलाज का मौका और सफलता दोनों बढ़ जाते हैं। क्योंकि तब ट्यूमर शुरुआती स्टेज में होता है और इलाज ज्यादा असरदार हो सकता है।
इस रिसर्च में अमेरिका की हेल्थ एजेंसी द्वारा इकट्ठे किए गए हजारों ब्लड प्लाज्मा सैंपल्स का इस्तेमाल किया गया। ये सैंपल कई साल पहले लिए गए थे। अब उनमें कैंसर के शुरुआती संकेत खोजे गए, जिन्हें ‘मल्टीकैंसर अर्ली डिटेक्शन टेस्ट’ से पहचाना गया।
हर साल करवाएं ब्लड टेस्ट
शोध में यह भी बताया गया कि भले ही इंसान खुद को पूरी तरह स्वस्थ महसूस करे, लेकिन नियमित ब्लड टेस्ट से गंभीर बीमारियों की पहचान समय रहते हो सकती है। जैसे लोग ब्लड प्रेशर या शुगर की जांच करवाते हैं, वैसे ही हर साल रूटीन ब्लड टेस्ट करवाना जरूरी हो सकता है।
कैंसर ही नहीं, और भी बीमारियों का पता चलेगा
हालांकि यह रिसर्च कैंसर पर आधारित है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक डायबिटीज, लिवर की बीमारी और ऑटोइम्यून रोगों की शुरुआती पहचान में भी मदद कर सकती है। इस शोध को ‘कैंसर डिस्कवरी’ नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
डिसक्लेमर: यह जानकारी सिर्फ जागरूकता के लिए दी गई है। कोई भी इलाज या दवा शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।