November 17, 2024

 अब 15000 मुर्दे मांग रहे इंसाफ

New Delhi: कहते हैं मरने के बाद कोई वापस नहीं आता, मुर्दे कभी नहीं बोलते कि उनके साथ क्या हुआ था या किसने छीन ली थीं उनकी सांसें। लेकिन, मुर्दे एक दो नहीं हजारों हों, रेगिस्तान में मिल रहे कंकाल इंसानियत के सीने में खंजर की तरह उतर जाते हों, तो सवाल पूरी दुनिया पूछती है।

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ये दुनिया के सबसे शर्मनाक कत्ल-ए-आम का सच है, मरने वालों के सामने मौत थी और वो दुआ कर रहे थे कि दुनिया के रहनुमा उन्हें उस जल्लाद से बचा लें जिसे इंसान कहना भी इंसानियत की तौहीन है। सच तो ये है कि उन्हें बचाने का सिर्फ शोर मच रहा था बचाने कोई नहीं आया और  इंसानियत ने देखा सबसे शर्मनाक कत्ल-ए-आम। धरती से एक कौम को ही मिटा देने की साजिश।  दुनिया बहुत देर से जागी है लेकिन अब शुरू हो चुका है हर मुर्दे को इंसाफ दिलाने का अभियान,  इसीलिए इन कब्रों को खोदा जा रहा है।  72 कब्र में दफ्न 15000 मुर्दे,  एक खूंखार जल्लाद का गुनाह, खबर जिसने दुनिया को हिला दिया।

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72 सामूहिक कब्र, और करीब 15000 लाशों का अंबार।  इंसानियत के लिए बोझ ढोना आसान नहीं है।  इराक और सीरिया के बड़े इलाके से इस्लामिक स्टेट के भागने के बाद हिला देने वाली ऐसी ही दास्तां सामने आ रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने करीब 72 सामूहिक कब्रों की पहचान और सर्वे किया है। ज्यादातर कब्र उन लोगों की हैं जिन्हें ISIS के स्वघोषित खलीफा ने काफिर बता कर कत्ल करवा दिया।  72 कब्रों में दफ्न ऐसी करीब 15000 लाशें हैं जो अब इंसाफ मांग रहीं हैं। जून 2014, इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के जेहादियों का स्याह तूफान उठा जिसने देखते ही देखते दोनों मुल्कों के बड़े हिस्से को अपने खूंखार पंजों में जकड़ लिया।

वो बड़ा ही हाहाकारी दौर था जब दुनिया के रहनुमा तमाशबीन की तरह कमजोरों का कत्ल-ए-आम देखते रहे। अबु बकर अल बगदादी और उसके सनकी हत्यारों की फौज जहां भी गई, इस्लामिक स्टेट कायम करने के नाम पर गैर मुसलमानों का कत्ल-ए-आम शुरू हो गय।यजीदी गांव धू-धू कर जलते रहे, यजीदी औरतों बच्चों की चीख-पुकार के बीच गोलियों की आवाजें गूंजती रहीं। खूंखार जेहादियों के कहर से चंद खुशकिस्मत ही बच सके थे, जिनमें से एक था अरकन कासेम।  अरकन पहाड़ी टीले पर जा छुपा था, जहां से नीचे घाटी में हो रहा मौत का नंगा नाच साफ नजर आता था। अरकन ने उस दिन को याद करते हुए बताया कि मैं अपने घर से ये सब देख रहा था।

उन्होंने औरतों, बच्चों साथ ही बाकी के परिवारों को कारों और ट्रैक्टरों में ठूंस दिया।  उसके बाद मर्दों का कत्लेआम शुरू कर दिया। इस्लामिक स्टेट के हैवान, यजीदी औरतों और बच्चों के साथ क्या करते थे, अब ये राज नहीं है। छोटी-छोटी बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार किया जाता था, मासूम बच्चों को गुलाम बना लिया जाता था लेकिन मर्द उनके किसी काम के नहीं थे, उनकी तकदीर में सिर्फ मौत थी। अरकन ने बताया कि पेशमार्गा लड़ाकों के भाग जाने के बाद हम गांव में ही थे,तकरीबन 4 बज रहे थे। जितने मर्द थे, उन सबके हाथ बांध दिए गए था। सबको साथ में ही गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया उन लोगों ने। अरकन ने बताया कि कुछ यजीदियों को सिरफिरों ने जिंदा जला दिया। कुछ को बुलडोजर की रौशनी के सामने खड़ा कर गोली मार दी गई, फिर बुलडोजर ने लाशों को कूड़े की तरह जमीन के नीचे दबा दिया।