Faridabad/Alive News : भूपानी स्थित सतयुग दर्शन ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय आध्यात्मिक वाक्पटुता प्रतियोगिता आज हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुई। इस प्रतियोगिता का सम्पन्न समारोह आज अत्यंत ही धूमधाम से सतयुग दर्शन वसुन्धरा के विशाल सभागार में देश के विभिन्न भागों से आए जानी मानी प्रसिद्ध हस्तियों जैसे उत्तराखंड के रिटायर्ड जसटिस राजेश टंडन, बिग्रेडियर तरूण नरूला, हरियाणा स्कूल एजुकेशन बोर्ड के चेयरमैन वी ० पी० यादव, आई० आई० टी० दिल्ली के प्रोफेसर विरेश दत्ता, विश्वकर्मा यूनिवर्सिटी हिसार के प्रो० डा० ज्योति राणा, भारत विकास परिषद के महासचिव भूषण लाल पराशर आदि की उपस्थिति में हुआ।
इसके अतिरिक्त इस अवसर पर सतयुग दर्शन वसुन्धरा के प्रागंण में सैकड़ों की संख्या में बुद्धिजीवी, दार्शनीक, प्रधानाचार्य, न्यायाधीश, डाक्टर्स, शिक्षक व १८ राज्यों व ३ केद्र शासित प्रदेशों से आए विद्यार्थी भी उपस्थिति थे। कार्यक्रम की शुरूवात सतयुग दर्शन ट्रस्ट के मार्गदर्शक सजन व सतयुग दर्शन ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीमती रेशमा गाँधी ने दीप प्रज्ज्वलन कर के की।इस अवसर पर उपस्थित सजनों को सम्बोधित करते हुए श्री सजन जी ने कहा कि कुदरत के नियमानुसार अब पाप और अधर्म का युग कलियुग जाने वाला है व सत्य-धर्म का युग सतयुग आने वाला है।
अत: समय अनुकूल अपने अंत: व बाह्य दैनिक व्यापारों में सम, संतोष, धैर्य धारण कर, सत्य धर्म के निष्काम रास्ते पर स्थित बने रहने का पुरुषार्थ दिखाओ ताकि आप का ख़्याल उस आद् सत्य में प्रवेश कर, ब्रह्ममय अवस्था में सध जाए और आप अपने यथार्थ ब्रह्म स्वरूप को पहचान सज्जन पुरुष बन जाओ। जानो ऐसा सुनिश्चित करने पर ही आप नि:स्वार्थ व निर्विकारी जीवन जीने में सफल हो सकोगे ओर आपका मन-मस्तिक जीवन की हर परिस्थिति में सम अवस्था में सधा रह सकेगा। परिणामतया आप समदृष्टि हो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में समदर्शन का आभास करते हुए परमपद पाने में सक्षम हो सकोगे और जन्म की बाजी जीत रोशन नाम कहा सकोगे। सजन ने आगे कहा कि सब सजन ऐसा करने में सक्षम बनें इसीलिए तो कुदरत के हुकमानुसार सतयुग दर्शन वसुन्धरा से अब आध्यात्मिक क्रांति का बिगुल बजा दिया गया है। ज्ञात हो इस आध्यात्मिक क्रांति का मुख्य प्रयोजन यह है कि प्रत्येक मानव आत्मिक ज्ञान यानि आत्मा सम्बन्धी निजी ज्ञान को अपना कर, अपनी बुद्धि, योग्यता व शक्ति को यथार्थतापूर्ण जान, आत्मनिर्भरता व आत्मविश्वास के साथ, इस मायावी जगत में अपना निर्धारित कर्त्तव्य समझदारी व निर्लिप्तता से निभाने में सक्षम बनें। इस तरह उसकी वृत्ति-स्मृति, बुद्धि व स्वभावों का ताना-बाना, सदा समरस निर्मल बना रह सके और वह मानसिक रूप से जीवन की हर परिस्थिति में स्थिर अवस्था में सधा रह सके व आध्यात्मिक प्रगति कर, सहज ही आत्मोद्धार करने में सफ़ल हो सकें। सजन ने कहा कि जो भी इस आध्यात्मिक क्रांति के तहत् स्वयं में भाव स्वाभाविक परिवर्तन ला कर दिखाएगा वह ही अपने जीवन काल में मानवता के उच्च आदर्शों को ध्यान में रख कर, उनके अनुसार स्वयं को मर्यादित ढंग से ढालने का निषंग प्रयास कर पाएगा व अपने साथ-साथ वैश्विक स्तर पर समाज के हर सदस्य को नैतिक बनाने में सफल हो सकेगा। ज्ञात हो उसी के मन में आत्मा और परमात्मा के सम्बन्ध का विचार सुदृढ़ हो सकेगा और वह ही भ्रमपूर्ण और कल्पित ज्ञान में व लौकिक तथा भौतिक सम्बन्धों में न उलझते हुए हर क्षण सत्य-धर्म के निष्काम रास्ते पर स्थिरता से सधा रह मानव जीवन के वास्तविक प्रयोजन को सिद्ध कर सकेगा। आशय यह है कि इसी तरह वह श्रेष्ठ मानव की तरह जीव, जगत व ब्रह्म की सार पा, जीवन का हर क्षण निर्विकारिता से व्यतीत कर सकेगा और परमात्म नाम कहा सकेगा।