Indore / Burhanpur : 400 साल पुरानी ऐतिहासिक जल संरचना कुंडी भंडारा दरअसल मुगलों की बनाई शुद्ध पानी का कभी खत्म न होने वाला भंडार है। सतपुड़ा की पहाड़ियों से रिसकर सुरंगों में जमा हुआ पानी भूमिगत कुंडियों के माध्यम से शहर में सप्लाई होता है। यानी नलों की तरह कुंडियां बनी हैं। इस कारण इसका नाम बाद में कुंडी भंडारा हुआ। पहले इसे खूनी भंडारा के नाम से जाना जाता है हालांकि, इसका संबंध खून से कतई नहीं है।
मिनरल वाटर से भी शुद्ध है यहां का पानी…
– 400 साल पहले मुगल काल में पानी की यह अद्भुत संरचना बनाई गई थी। आज भी यह न सिर्फ जिंदा है बल्कि, मिनरल वाटर से बेहतर गुणवत्ता का पानी बुरहानपुर शहर के एक हिस्से को मिल रहा है।
– इसका पानी नामी कंपनियों के मिनरल वाटर से भी शुद्ध है। यह कई संस्था और शोध से स्पष्ट हो चुका है। मिनरल वाटर का औसत पीएच 7.8 से 8.2 होता है, जबकि यहां के पानी का 7.2 से 7.5 है।
– इसकी आश्चर्यजनक विशेषताओं के कारण यह दुनियाभर के विशेषज्ञों के लिए शोध का विषय रहा है।
ये हैं कुंडी भंडारा की खासियत
– अकबर के शासनकाल में बुरहानपुर के सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना थे। उन्हें 1612 में इस भूमिगत जल भंडार का पता चला।
– 1615 में निर्माण कर पूरे शहर में सप्लाई शुरू की। तब पूरा शहर यही पानी पीता था।
– बुरहानपुर की तरह विश्व में केवल ईरान में कुंडी भंडारा की तरह भूमिगत जल वितरण प्रणाली थी। हालांकि, अब यह बंद पड़ी है।
– मुगलों का ईरान से नजदीकी रिश्ता रहा है, इसलिए यह प्रणाली वहीं से आयातित की गई है। हालांकि, जीवित प्रणाली अब केवल बुरहानपुर में है।
– शहर के लालबाग क्षेत्र के 40 हजार से ज्यादा लोग कुंडी भंडारा का पानी पी रहे हैं। रोजाना सवा लाख लीटर पानी सप्लाय किया जाता है।
– 101 कुंडियां थी। अब कुछ धंसकर खत्म हो चुकी हैं। जल संरचना की बनावट इस तरह है कि पांच किमी दूर तक बगैर मोटर पंप के हवा के दबाव से पानी सप्लाई होता था।
– कुछ कुंडियां धंसने से अब जल वितरण के लिए पंप का सहारा लेना पड़ रहा है। साइफनिक पद्धति से तब पूरे शहर में पानी सप्लाय होता था।
– विश्व विरासत की सूची में खूनी भंडारा को शामिल करने के लिए 2007 में यूनेस्को की टीम बुरहानपुर का दौरा कर चुकी है। हालांकि, यहां का पहुंच मार्ग खराब होने और छोटी-मोटी कमियों के कारण ऐसा नहीं हो सका।
15 साल पहले लगी थी लिफ्ट, बाद में टिकिट रखा गया
– 15 साल पहले यहां के मेयर माे. हारून के कार्यकाल में कुंडी भंडारे में लिफ्ट लगी थी। इसके बाद से पर्यटकों को नीचे उतरना शुरू हुआ।
– बाद में इस पर 100 रुपए टिकट रखा। पहले सालाना 5 लाख रुपए तक आय हो रही थी। अब 1 से डेढ़ लाख रुपए आय हाे रही है।