November 16, 2024

‘मिस इंडिया’ जो बनी कॉल गर्ल, पकड़ी गई तो हिला दी सरकार’

उस महीने ब्रिटिश पत्रिकाओं के पास कोई बड़ी खबर नहीं थी. लेकिन अचानक एक बिजली-सी कौंधी और वह भी 27 साल की एक बाला के रूप में. उस भारतीय लड़की की तस्वीरें हर ब्रिटिश मैगजीन के कवर पर कौंध गईं. सबकी जुबान पर एक ही नाम, पामेला! पामेला!

पामेला.. आगे क्या? बोर्डेस, चौधरी, सिंह, कुछ भी लगा लीजिए, फर्क नहीं पड़ता. हरियाणा की इस जाट लड़की का सीवी जरा हटकर था. 1982 में उसके सिर पर मिस इंडिया का ताज था. लेकिन ठीक 7 साल बाद ब्रिटेन की पीत पत्रिकाएं उसे एक हाईप्रोफाइल कॉल गर्ल के तौर पर पेश कर रही थीं. बताया गया कि उसके चाहने वालों में दो अखबारों के एडिटर और ब्रिटेन के खेल मंत्री तक शामिल थे. उसके पास ब्रिटिश संसद का पास था. हथियारों के एक डीलर से उसकी शादी हुई, जो ज्यादा टिकी नहीं. सन् 89 में जब पूरा ‘स्कैंडल’ सामने आया तो वह अज्ञातवास में चली गईं और ब्रिटेन की सरकार गिराने की बात करने लगी.

पूरी दुनिया की आंखें उस वक्त हैरत से निकल आई थीं. वो किम कार्दाशियां और पूनम पांडेय से पहले की दुनिया थी, जिसके लिए ये सब पचाना आसान नहीं था. एक गुमनाम सी भारतीय सुंदरी का रातोंरात मशहूर हो जाना, जितना रहस्यमयी था, उतना सनसनीखेज भी.

दोहरी जिंदगी: कभी सांसद की रिसर्च असिस्टेंट, कभी कॉल गर्ल

पामेला केस की पहली झलक उस वक्त मिली जब एक मैगजीन ने खुलासा किया कि पामेला बोर्डेस नाम की ये लड़की दोहरी जिंदगी जीती है- एक, सत्तारूढ़ टोरी पार्टी के एक सांसद की रिसर्च असिस्टेंट के रूप में और दूसरी, कॉल गर्ल के रूप में जिसके बेडरूम के कारनामे किसी घोटाले से कम नहीं हैं.

इससे ब्रिटेन सरकार से जुड़े कई बड़े नाम उजागर हुए जो पामेला के ग्राहकों में शामिल थे. इसमें सिर्फ टोरी सांसद ही नहीं, दो ताकतवर हैसियत वाले एडिटर, इंटरनेशनल लेवल का हथियार डीलर, एक कैबिनेट मंत्री और एक प्रमुख लीबियाई खुफिया अफसर भी शामिल था.

इसके बाद तो पामेला की ग्लैमरस तस्वीरों और ‘मसालेदार दावों’ से सारी ब्रिटिश पत्रिकाएं भर गईं. एक मैगजीन ने दावा किया कि पामेला सामान्य दिन में 500 पौंड और वीकएंड पर 2000 पौंड में उनके एक रिपोर्टर के साथ सोने को राजी हो गई थीं.

ब्रिटेन मीडिया ने जब इस स्कैंडल को अश्लील तरीके से पेश करना शुरू कर दिया, तो पामेला 7 लाख 50 हजार पौंड वाले शानदार पेंटहाउस को छोड़कर गुमनाम जगह पर रहने चली गईं. शायद बात यहीं खत्म हो गई होती लेकिन इसके बाद पामेला खुद तमाम राज़ों से परदा उठाने लगीं.

उन्होंने अपने दोस्त और हल्के-अश्लील साहित्य लेखन में माहिर डेविड सुलिवान के जरिये कहलवाया कि वो ऐसे हैरतअंगेज़ राज़ जानती हैं कि उन्हें उजागर कर दें तो ब्रिटेन की सरकार गिर सकती है. लोगों ने इसका ये मतलब निकाला कि अचानक मिली शोहरत से वो ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा लेना चाहती थीं.

एक पीत पत्रिका में उसका बयान छपा,

इसके बाद क्या कुछ हुआ, क्या कुछ छपा

1. अखबार ‘ईवनिंग स्टैंडर्ड’ ने दावा किया पामेला के लीबियाई खुफिया संगठन के अधिकारी कर्नल मुअम्मर गद्दाफी के चचेरे भाई कर्नल अहमद गेद्दा फेद्दम से ‘करीबी रिश्ते हैं.’ पामेला उनसे मिलने पेरिस और यहां तक कि पर्सनल प्लेन में त्रिपोली भी जाती रहीं.

2. एक दूसरे अखबार ने छापा कि स्पेशल ब्रांच के अफसर ‘पी. सिंह’ और ‘पी. चौधरी’ नाम वाले बैंक खातों की पड़ताल कर रहे हैं. लेकिन अफवाहों के कारण ये तथ्य पुष्ट न हो सका.

3. खबर ये भी उड़ी कि फ्लीट स्ट्रीट के अखबारों ने पामेला की लाइफ स्टोरी छापने के राइट्स के लिए 20 लाख पौंड तक देने की पेशकश की थी.

4. पॉल रेमंड के ‘मेन ओनली’ ने उसके न्यूड फोटोज के लिए उसे 7.5 लाख पौंड की पेशकश की. एडिटर नेविल प्लेयर ने कहा था, ‘मेरा मानना है कि देश को उसका पूरा सौंदर्य देखने का हक है.’ लेकिन पामेला ने ये प्रस्ताव ठुकरा दिया.

वो हर पार्टी में मौजूद होती थी, रईसों के इर्द-गिर्द

वैसे ऐसा एक भी सबूत नहीं मिला, जिससे ये साबित होता हो कि वो किसी सांसद के साथ हमबिस्तर हुई हो. लेकिन इसके पर्याप्त सबूत दिखे कि वो हमबिस्तर होने के लिए पैसे लेती थी. वह आम लड़की नहीं थी. हर बड़े आयोजन में वो मौजूद होती थी. चाहे वो मीडिया मुगल रुपर्ट मर्डोक की बीवी के नॉवेल लॉन्च का मौका हो या जॉर्ज बुश के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद लंदन के अमेरिकी दूतावास में हुई पार्टी का. ये सारी बातें 3 हजार पौंड सालाना वेतन पाने वाली रिसर्च असिस्टेंट की जिंदगी से मेल नहीं खाते.

कुछ ने कहा कि ये सारा मामला ‘संडे टाइम्स’ के संपादक नील पर हमला करने के लिए प्रतिद्वंद्वियों ने उछाला था. दूसरी थ्योरी थी कि तुरत-फुरत अच्छी कमाई के लिए खुद पामेला ने ये सनसनीखेज खबर छपवाई थी.

लेकिन इस स्कैंडल ने भारत में उनकी मां शकुंतला चौधरी को बहुत परेशान कर दिया था. उनका बयान एक अखबार ने छापा था, ‘मैं उसे कुत्ते की जंजीर से पीटा करती थी.’ अपनी बेटी के ‘जिद्दी और बहके’ बर्ताव के चलते परिवार ने उससे 1982 में ही नाता तोड़ लिया था. इसलिए कुछ लोगों ने अंदाजा लगाया कि पामेला में दिखने वाला अक्खड़पन, चंचलता और महत्वाकांक्षा उसके पारिवारिक माहौल की देन भी हो सकती है.

थोड़ा फ्लैशबैक!

पामेला एक मिडल क्लास हरियाणवी जाट परिवार से थीं. पिता मेजर महेंद्र सिंह सेना में थे जिनकी 1962 की लड़ाई में मौत हो गई थी. उस समय पामेला सिर्फ दो महीने की थी. पति की मौत के बाद शकुंतला चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेज होस्टल की वॉर्डन बन गईं. हरियाणा के उस वक्त के मुख्यमंत्री बंसीलाल की बेटी सरोज सिवाच भी उसी कॉलेज में पढ़ रही थी. उसके जरिये शकुंतला बंसीलाल के संपर्क में आईं और उनकी मदद से जनवरी 1975 में हरियाणा पब्लिक सर्विस कमिशन में शामिल हो गईं. बताते हैं कि वो एग्जाम पास करके अफसर नहीं बनी थीं, उन्हें राज्य सरकार ने नॉमिनेट किया था.