November 19, 2024

मैट्रो अस्पताल ने हार्ट सर्जरी कर बचाई 79 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक की जान

Faridabad/ Alive News : ब्रिटिश नागरिक ने उच्च जोखिम हार्ट सर्जरी के लिए फरीदाबाद के अस्पताल एवं डाक्टरों को चुना। 79 वर्षीय घनी सदून ट्रिपल वैसल डिसीज, गुर्दे की बीमारी एवं पहले से ही ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित थे। सीने में दर्द की शिकायत के रहते वह मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद में दाखिल हुए। वह एक ब्रिटिश नागरिक (लंदन सिटी) है और राष्ट्रीष्य स्वास्थ्य सेवाओं (एन.एच.एस.) के तहत निःशुल्क इलाज के लाभार्थी है। उन्होंने लंदन में एन.एच.एस. के एक विशिष्ट अस्पताल से कोरोनरी एंजियोग्राफी करवाई जहाँ उन्हें ट्रिपल वैसल बीमारी का रोगी पाया गया। इसके साथ वह गुर्दे की बीमारी से भी पीड़ित थे। जिसके रहते हृदय रोग विशेषज्ञ ने उन्हें बाईपास सर्जरी करवाने की सलाह दी।

डाक्टरों ने मरीज की एंजियोप्लास्टी नहीं की। उनकी उम्र एवं अन्य बीमारियों के चलते बाईपास सर्जरी कठिन हो सकती थी इसलिये वह थोड़ा डरे हुए भी थे। उसी दौरान मरीज ने इन्टरनेट के द्वारा ये जानकारी प्राप्त की कि भारत में डा. एस.एस. बंसल, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ, अत्यधिक जटिल एंजियोप्लास्टी करते है तथा एक इराकी महिला की हृदय, ब्रेन तथा किडनी की एंजियोप्लास्टी कर उसे बचाया था। इससे उन्हें कुछ राहत मिली और उम्मीद भी कि वो शायद अपनी तकलीफो से अब बच जायेगे।

भारत में रहने वाले अपने रिश्तेदारों एवं सगे सम्बन्धियों के सलाह के बाद उन्होंने मैट्रो हृदय संस्थान एवं मल्टीस्पेशलटी अस्पताल फरीदाबाद के डा. एस.एस. बंसल, सीनियर कार्डियोलोजिस्ट एवं मैनेजिंग डायरेक्टर मैट्रो अस्पताल से तुरन्त सम्पर्क किया तथा अपना इलाज मैट्रो अस्पताल में कराने का निर्णय लिया। मरीज ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए डा. बंसल को बताया कि वे बाईपास नहीं करवाना चाहते है।

डा. बंसल ने उन्हें समझाया कि उनके केस में एंजियोप्लास्टी एक चुनौतीपूर्ण एवं मुश्किल कार्य है। क्योकि उनकी स्थिति के अनुसार उनकी अधिक उम्र व गुर्दे की बीमारी के चलते यह काफी कठिन कार्य था। जाँच के उपरान्त पता चला कि उनकी बाई आटर्री में कई हार्ड ब्लॉक थे। सभी जाँचों एवं उनकी गुर्दे की बीमारी की स्थिति थोड़ी सम्भलने के पश्चात डा. बंसल एवं उनकी टीम ने एंजियोप्लास्टी करने का फैसला किया। ऑपरेशन के दौरान मरीज को 4 ड्रग कोटिड स्टेंट सफलातपूर्वक लगाये गये।

सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति अब स्थिर है वह बहुत खुश है। मरीज को एन.एच.एस. के तहत निःशुल्क इलाज की सुविधा प्राप्त हो रही थी लेकिन उन्होंने फिर भी भारत आकर, भारतीय डाक्टरों से इलाज करवाने का निर्णय लिया। यह विश्वास दिलाता है कि भारतीय अस्पताल एवं डाक्टर दुनियाभर में अपनी कुशलता के लिए जाने जाते है। डा. बंसल ने कहा कि भारतीय मेडिकल व्यवस्था के लिए यह एक गर्व कि बात है कि विकसित देशों के नागरिक भी अपना इलाज यहाँ आकर करवाना चाहते है। भारत में ऐसा पहली बार हुआ है कि मरीज ने मुफ्त इलाज न करवाकर भारतीय अस्पताल को अपनी गंभीर हृदय रोग के इलाज के लिए चुना।