Faridabad : आरक्षण विरोधी पार्टी और विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा आज 10 अप्रैल को भारत बंद की घोषणा की गई थी जिसके तहत पूरे भारतवर्ष में आरक्षण विरोधी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा देशभर में जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रर्दशन किया और जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन सौंपे गए।
इस बंद के माध्यम से आरक्षण और एससी एक्ट जैसे दोहरे कानूनों को बिलकुल खत्म करके एक नागरिक एक कानून बनाए जाने की मांग की गई है। आरक्षण विरोधी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बल्लभगढ़ और फरीदाबाद में दुकानदारों को फूल देकर और मालाएं पहनाकर बंद का समर्थन करने की अपील की, जिसमें अनेक व्यापारियों ने सहयोग दिया।
इसके बाद सेक्टर-12 स्थित जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया गया व आरक्षण और एससी एक्ट के विरोध में जमकर नारेबाजी की। इसके बाद जिला अधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन सौपा गया। इस आंदोलन में दीपक गौड़, कन्हैया सिंह, राजबाला षर्मा, राजेेंद्र शर्मा, एडवोकेट उदयवीर नागर, संजय सहाय, पंकज त्रेहान, संगीता नेगी, माया शर्मा, बविता शर्मा, अरूण कुमार व जगदेव शर्मा सहित सैकडों आंदोलनकारी मौजूद थे।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि, इस मौके पर एवीपी के राष्ट्रीय महासचिव दीपक गौड़, ने देश में आंदोलन कर कमान संभाली जिसके तहत बिहार से वाल्मीकि कुमार और रविकांत तिवारी, उत्तर प्रदेष से राजीव दुबे व अमित श्रीवास्तव, राजस्थान में समुंद्र सिंह व दिनेष षर्मा, मध्यप्रदेष में चंद्रप्रकाश भटनागर व रावेंद्र तिवारी और जम्मू कष्मीर में सतपाल ष्षर्मा व मदनलाल नारद, उत्तराखण्ड से डा शक्तिधर शर्मा, दिल्ली से अभिशेक शुक्ला, विवेकानंद सिंह, आशीष पंडित ने कमान संभाली।
शर्मा ने कहा कि इस आंदोलन को शंतिपूर्वक तरीके से चलाया गया। सभी जनरल और ओबीसी वर्ग के दुकानदारों से अपनी मर्जी से दुकाने बंद रही है। जबकि सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारी व अधिकारी अपनी मर्जी से छुटटी पर रहेे।
आरक्षण विरोधी पार्टी षांतिपूण तरीके से सरकार और सुप्रीम कोर्ट तक अपनी बात पहुंचाने के लिए कार्य किया। उन्होंने कहा कि एसीसी एक्ट में र्निदोष लोगों को फसाया जा रहा है और आरक्षण के कारण योग्य प्रतिभाओं का गला घोटकर अयोग्य व नाकारा लोगों को इंजीनियर व वैज्ञानिक बनाया जा रहा है जिससे हमारा देश न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से बल्कि तकनीकि में भी पिछड रहा है।
इस मौके पर पार्टी महासचिव दीपक गौड़ ने लागों को संबोधित करते हुए कहा कि देष में वंचित और षोषितों के नाम पर आरक्षण नीति लागू करतेे समय इसे सिर्फ 10 साल के लिए किया गया था, लेकिन इसके बाद राजनैतिक पार्टियों ने अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए इस नीति को सिर्फ इस्तेमाल किया है, और सरकारें इसके मूल उद्देष्य से भटक गई, विभिन्न रातनैतिक पार्टियों के सांसदो द्वारा अपने राजनैतिक हितों को साधने और अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए लिए बार-बार संबिधान संसोधन करके आरक्षण को बढाते रहना एक अनेतिक व् अमानवीय कदम है, आरक्षण विधेयक को लेकर समय-समय पर न सिर्फ संबिधान संसोधन होता है, बल्कि नित नई जातियों को पिछड़ा घोषित करने की होड़ सी लगी हुई है, जो जनहित में नहीं है, अत: ऐसे बिलों को संसद में लाकर जन-भावनाओं को भडक़ाने का काम न किया जाए, जिससे देष के सभी नागरिकों को समानता की दृष्टिसे न देखा जा रहा हो। इससे देष में वर्ग संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाएगी।
देष की जनता इस ज्यादिती को बर्दास्त नहीं करेगी। सडक़ से लेकर संसद तक इसका विरोध होगा। अत: आपसे निवेदन है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ऐसे जाति और वर्ग विषेष के हितों के लिए आरक्षण विधेयकों को संसद में न लाए जाने के लिए कोई ठोस नियम बनाऐं तथा सभी तरह के आरक्षणों को तुरंत समाप्त कराने की पहल करें व संविधान में प्रदत्त संमानता के अवसर उपलब्ध कराने की गारंटी को सख्ती से लागू किया जाए और संसद में समान अधिकारों के कानून बनें।
अगर आरक्षण वाकई गरीबों और पिछडों के लिए था, तो जब गरीबी जाति देखकर नहीं आती तो आरक्षण जाति और धर्म के आधार पर क्यों दिया जा रहा हैं, इसे तुरंत बंद होना चाहिए। मौजूदा जातिगत आरक्षण का लाभ अमीर लोग, नेता, मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी ही पीढ़ी दर पीढ़ी उठा रहे हैं। पिछलेे 65 साल से जो समाज शोषित और वंचित है, उसे इसका कोई लाभ नहीं होने दिया, इसलिए शोषित, वंचित और गरीब लोगों को आर्थिक मदद की जरूरत है, न कि आरक्षण की।
आरक्षण के द्वारा योग्य प्रतिभाओं का हक छीनकर अयोग्य व नाकारा व्यक्तियों को दिया जा रहा है। जिससे प्रतिभाओं का भविष्य चौपट हो रहा है।