Faridabad/Alive News : आचार्य सर्वेशानंद महाराज ने कहा कि जय जय गिरिवर राज किशोरी, जय महेश सुख चंद चकोरी, देवी पूजि पद कमल तुम्हारी, सुर नर मुनि सब होहिं सुखारी। राजा जनक के महल में जानकी के सीता स्वयंवर के दौरान देश व विदेश के विद्वान सहित पराक्रमी राजा मौजूद थे।
इस धनुष महोत्सव में मां सीता ने गौरी मैया का पूजन किया और ऐसा वरदान प्राप्त किया…सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हार’। इसके पश्चात जानकी व श्रीराम का मिलन हुआ। इनका मिलन धरती से अधर्म के नाश के लिए हुआ। वे दयालबाग तिकोना पार्क में आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन सीता स्वयंवर की कथा सुना रहे थे।
उन्होंने कहा कि गौरी का पूजा करने से समस्त लोगों की मनोकामना पूरी होती है। भक्ति में ही शक्ति है। भगवान की भक्ति में लीन होकर परमार्थ को प्राप्त कर सकते हैं। भारत के ऋषि मुनियों ने अपना जीवन परमार्थ को सौंप दिया था। खाओ-पीओ मौज करो। यह हमारी संस्कृति नहीं है। दूसरों की यथा संभव सेवा धर्मग्रंथ सीखाते हैं। रामचरित मानस जीवन जीने की कला सीखाती है। इसके श्रवण मात्र से जीवन कल्याण के मार्ग पर चल पड़ता है। व्यास पीठ से सी. के. राय, शंभू दुबे, डा. बी. के. सिंह ने आशीर्वाद लिया। इनका स्वागत मुख्य यजमान मनोज कुमार चौधरी एवं उनके सहयोगी संजय सिंह ने किया।