November 17, 2024

भ्रटाचार की जननी तबादला नीति को बंद किया जाना अनिवार्य: सुनील खटाना

Faridabad/Alive News: हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महासचिव सुनील खटाना ने बताया कि 05 अक्तूबर 2020 को ऑनलाइन ट्रान्सफर पोलिसी के विरोध में तत्कालीन अतरिक्त मुख्यसचिव माननीय टीसी गुप्ता पॉवर डिपार्टमेन्ट हरियाणा सरकार से जब एचएसईबी वर्कर्स यूनियन हरियाणा के प्रतिनिधि मंडल से ट्रान्सफर पोलिसी में लिप्त खामियों के विरोधी प्रावधानों को हटाने को लेकर एसीएस दवारा संगठन को आश्वस्त किया गया था । बावजूद इसके एक जनवरी को यूएचबीवीएन व डीएचबीवीएन में एलडीसी, यूडीसी, जेई आदि के ताबड़तोड़ तबादले आननफानन में करे गये।

उनमें ऐसे कर्मचारियों के तबादले कर दिये गये जो इस पोलिसी के दायरे में नही आते जी नही थे। जिनका मेरिट स्कोर काफी नीचे था। अधिकारियों ने उन्हें भ्र्ष्टाचार करने वाली सीटों पर एडजस्ट कर दिया गया और जो बेहतर मेरिट स्कोर में आये थे। उन्हें सर्कल आउट कर अन्य जिलों में तबादला कर दिया गया। जबकि बिजली निगम अधिकारियों दवारा पारदर्शिता के नाम किया जा रहा यह ढोंग भ्रष्टाचार की जननी बन गया है। जिसमें बिजली निगम के कई अधिकारी संलिप्त हैं।

अपने चहेतों को उसकी मन माफिक पोस्टों और दफ्तरों को देने का काम इस ऑनलाइन ट्रान्सफर पोलिसी की आड़ में बखूबी से फलफूल रहा है । इसी विरोध को लेकर यूनियन ने उपमंडलों, मण्डलों ब सर्कलों पर अपने प्रदर्शन किए और निगम के दोनों मैनेजिंग डायरेक्टर्स को यूनियन के पदाधिकारियों ने इन खामियों की एक लम्बी लिस्ट बनाकर दी। परन्तु उनकी खामियों को निगम प्रबंधन द्वारा दूर तक नही किया गया। जबकि हालिया ही में 06/05/2021 को चीफ इंजीनियर पंचकूला दवारा एएलएम, लाइनमैन, फोरमैन, शिफ्ट अटेन्डेन्ट आदि तकनीकी कर्मचारियों को ऑनलाइन ट्रान्सफर करने का पत्र जारी कर दिया है।

जबकि प्रबधंन दवारा माननीय उच्च न्यायालय पंजाब एंड हरियाणा ने भी यह माना कि तकनीकी कर्मचारियों के इन तबादलों से बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं के ओर बढ़ने का खतरा पैदा होने को लेकर लिखित में सहमति बन स्वीकारा था। एक ओर जहाँ प्रदेश के सभी विभागों में कोरोना संक्रमण के इस आपातकाल को देखते हुए तबादलों पर पाबन्दी लगी हुई है। दूसरी ओर बिजली कर्मचारी दिनरात एक करते हुए प्रदेश को निर्बाध बिजली मुहैया कराने के दौरान इस संक्रमण के शिकार होते हुए कुछेक मौत के गाह में समा गये हैं।

आज भी सैंकड़ों कर्मचारी इस संक्रमण के शिकार हो मौत से जूझ रहे हों । लेकिन बिजली निगम के अधिकारी अपनी हठधर्मिता में कितने असंवेदलशील हैं। महामारी के इस दौर में निगम को कर्मचारियों को बिजली कोरोना वारियर्स मानकर इस समर्पण और सेवा भाव के लिये 5000000 रुपये का कम्पलसेशन की मांग करते हुए दिया जाना चाहिये । यूनियन ऐसे आदेशों को कड़े शब्दों में निन्दा करती है। यदि एक सप्ताह के अन्दर अन्दर इन आदेशों को वापिस नही लिया तो महामारी इस संक्रमण के माहौल में प्रदेश के हालात इस विरोध के चलते काफी बिगड़ सकते हैं और कर्मचारी आने वाले समय मे प्रदर्शन करने को मजबुरन बाध्य होगा । जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी निगम प्रबंधन व सरकार की होगी ।