May 1, 2024

नए मुख्यमंत्री भी प्राइवेट स्कूल संचालकों के आगे नतमस्तक – मंच

Faridabad/Alive News: शिक्षा निदेशक पंचकूला ने एक और रिमाइंडर पत्र भेजकर 30 अप्रैल तक फार्म 6 जमा करने की रिक्वेस्ट प्राइवेट स्कूल संचालकों से की है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कहा है कि हरियाणा सरकार के गजट नोटिफिकेशन 8 दिसंबर 2021 के अनुसार एक फरवरी तक सभी स्कूल संचालकों को फार्म 6 ठीक प्रकार से भरकर ऑनलाइन शिक्षा निदेशक के पास व उसकी हार्ड कॉपी जिला शिक्षा अधिकारी के पास जमा करानी चाहिए लेकिन किसी भी स्कूल ने ऐसा नहीं किया। इतना ही नहीं स्कूल संचालकों के दबाव में सरकार ने पहले 31 मार्च तक उसके बाद 15 अप्रैल तक और अब 12 अप्रैल को पत्र निकालकर 30 अप्रैल तक फार्म 6 जमा कराने की रिक्वेस्ट स्कूल संचालकों से की है।

मंच का आरोप है कि है यह सब स्कूल संचालकों की सशक्त लॉबी व शिक्षा विभाग की आपसी सांठगांठ के चलते हो रहा है। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओ. पी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि अभिभावक जब सब तरह से लुट पीट गए, उनसे बड़ी हुई फीस वसूल ली गई तब खाना पूर्ति के लिए जरूरी फॉर्म 6 मांगा जा रहा है। मंच का कहना है कि नए बने मुख्यमंत्री नायब सैनी से अभिभावकों को कुछ उम्मीद थी कि वे प्राइवेट स्कूलों की लूट व मनमानियों पर रोक लगाएंगे, लेकिन वे भी पूरी तरह से प्राइवेट स्कूल संचालकों के आगे नतमस्तक होते दिखाई दे रहे हैं। मंच का कहना है कि सभी प्राइवेट स्कूलों ने 1अप्रैल से शुरू हुए शिक्षा सत्र में अभिभावकों से अपनी मर्जी से बढ़ाई गई दाखिला फीस व ट्यूशन फीस (अप्रैल मई-जून) तथा अन्य फंडों में फीस वसूल ली है।

ऐसे में शिक्षा निदेशक द्वारा 30 अप्रैल तक फार्म 6 पर शिक्षा सत्र 2023- 24 में अभिभावकों से वसूली गई सभी तरह की फीस,अध्यापकों को दी गई तनखा और शिक्षा सत्र 2024- 25 में की जाने वाली फीस वृद्धि का ब्यौरा व कारण व अध्यापकों की बढ़ाई जाने वाली तनख्वाह का ब्यौरा मांगने का क्या औचित्य है? य़ह छात्र व अभिभावकों की आंखों में धूल झोंकना है। मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा व लीगल एडवाइजर बीएस बिरदी ने कहा है कि नियमानुसार फार्म 6 पर फीस व फंड्स का ब्यौरा व अन्य सभी जानकारी एक फरवरी तक ले लेनी चाहिए जिससे उसमें लिखे गए ब्यौरे की सत्यता की जांच पड़ताल शिक्षा निदेशक कर सके। लेकिन पिछले कई सालों से ग्रीष्मकालीन छुट्टियां होने तक फार्म 6 पर ब्यौरा मांगा जाता है। तब तक अभिभावक स्कूल संचालकों की मनमानी फीस वृद्धि के शिकार हो चुके होते हैं। स्कूल प्रबंधक जो भी फीस वृद्धि लिख दें उसी को शिक्षा विभाग की मोन स्वीकृति मिल जाती है। जब जांच होती ही नहीं है तो फार्म 6 पर मांगे गए ब्यौरे का औचित्य ही क्या है? मंच की मांग है कि मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को इस बारे में सार्वजनिक रूप से अपना स्पष्टीकरण देना चाहिए।