Faridabad/Alive News: डीसीपी ट्रैफिक उषा देवी के दिशा निर्देश के तहत कार्रवाई करते हुए ट्रैफिक इंस्पेक्टर सतीश कुमार ने दिल्ली स्कॉलर इंटरनेशनल स्कूल के बस ड्राइवर तथा कंडक्टर के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट इंचार्ज को सड़क सुरक्षा नियमों के प्रति जानकारी प्रदान की।
पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि यातायात पुलिस ने सुरक्षित वाहन पॉलिसी के तहत अभियान शुरू किया है जिसने स्कूल की बसों में छात्रों को ले जा रहे वाहन चालकों को बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें यातायात व सड़क सुरक्षा नियमों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसी के तहत ट्रैफिक इंस्पेक्टर द्वारा स्कूल के ट्रांसपोर्ट विभाग को इस संबंध में अहम जानकारियां दी गई। इसके साथ ही बसों में जो थोड़ी बहुत कमियां है उन्हें जल्द से जल्द ठीक करवाने के बारे में हिदायत दी गई।
शिक्षण संस्थानों व स्कूल बस चालकों के लिए सुरक्षा नियम:
स्कूल बस पीले रंग के पेंट की हुई हो जिसपर खिड़की से 178 मिलीमीटर नीचे 254 मिलीमीटर की गहरे नीले रंग की पट्टी हो। बस के आगे सफेद, पीछे लाल तथा साइड में पीली रिफ्लेक्टिव टेप लगी हो जिसकी चौड़ाई कम से कम 50 मिलीमीटर हो। बस की स्पीड शहर के किसी भी एरिया में 50 किलोमीटर/घंटा से अधिक ना हो।
स्कूल के आगे व पीछे स्कूल बस लिखा हो और यदि बस बाहर से हायर की गई हो तो उस पर “ऑन स्कूल ड्यूटी” साफ-साफ लिखा हो। स्कूल बस प्रॉपर मेंटेन हो और उस पर प्रशिक्षित ड्राइवर व कंडक्टर तैनात किए गए हो। बस चलाने का परमिट या परमिशन ली हुई हो।
बस के ड्राइवर के पास कम से कम 5 साल का अनुभव हो। बस ड्राइवर का 3 बार से अधिक चलान न कटा हो और उसके 5 साल के अनुभव के दौरान वह भारतीय दंड संहिता की धारा 279, 336, 337, 338, 304 ए का अपराधी ना रहा हो।
यदि बस में लड़कियां सफर कर रही हो तो उसके लिए महिला कंडक्टर होनी चाहिए। स्कूल या शैक्षणिक संस्थान के पास स्कूल की बाउंड्री के अंदर पार्किंग स्थान अवश्य होना चाहिए ताकि बच्चों को स्कूल के अंदर उतारा जा सके ताकि वह सड़क दुर्घटना का शिकार होने से बच सकें।