November 17, 2024

किसी भी एंगल से देखो, निहारती नजर आएगी इंडियन मोनालिसा

Bhopal/Alive News : कई मामलों में मध्यप्रदेश का कोई जवाब नहीं है। स्थापत्य, कल्चर दुनियाभर में बेजोड़। 1 नवंबर को मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस समारोह है। इस मौके पर m1j.d4e.myftpupload.com मध्य प्रदेश की एक दिलचस्प प्रतिमा की जानकारी दे रहा है। प्रतिमा में एक गहरा राज है। इस प्रतिमा को किसी भी एंगल से देखा जाए, ऐसी नजर आती है जैसे वह आपको ही देख रही हो। इसकी तुलना दुनियाभर में प्रसिद्द मोनालिसा की पेंटिग से भी की जाती है। भारी सुरक्षा में रखी गई है ये मूर्ति, सुनियाभर के तस्करों की नजर…

7 – प्रतिमा की मुस्कान लियानार्दो दा विंची की चर्चित पेंटिंग मोनालिसा जैसी है। कोई भी इसे एकटक देखता रह जाएगा।
– ये प्रतिमा 10वीं शताब्दी की है, शालभंजिका के रूप इसका वर्णन है। यह ग्वालियर के गूजरी महल म्यूजियम में रखी है।
– ग्यारसपुर लेडी के नाम से मशहूर इस बेशकीमती प्रतिमा को कड़ी सुरक्षा में रखना पड़ता है।
– दरअसल, इस पर लंबे वक्त से कई इंटरनेशनल तस्करों की निगाहें लगी हुई है।

1 करोड़ का बीमा
– 1989 में यह प्रतिमा न्यूयार्क में एक एग्जीबिशन में गई थी। उस वक्त 1 करोड़ रुपए का बीमा करवाया गया था। ये मूर्ति मध्य प्रदेश की धरोहर है।
– ग्यारसपुर की शालभंजिका एक महिला की प्रतिमा है जो अपने शारीरिक सौंदर्य और मोहक मुस्कान की वजह से कई देशों में सराही जा चुकी है।

इंडियन मोनालिसा है शालभंजिका
-त्रिभंग मुद्रा में खड़ी एक महिला की दुर्लभ और अद्वितीय पत्थर की मूर्ति शालभंजिका, 10वीं शताब्दी की है, जो विदिशा के पास ग्यारसपुर गांव में खुदाई के दौरान मिली थी।
– इसके चेहरे पर अद्वितीय मुस्कान के कारण इसे इंडियन मोनालिसा भी कहा गया है।

6

चुराने की मिली थी धमकी
– इसकी कीमत को देखते हुए ग्वालियर के ही एक गैंगस्टर शरमन शिवहरे ने यह धमकी दी थी कि वह इसे महल से चुरा लेगा।
– तब तक ये प्रतिमा बाहर खुले में ही रखी रहती थी। गैंगस्टर की धमकी के बाद इसे 7 तालों में बंद करके रखा गया।
– उस गैंगस्टर का भी बाद में एनकाउंटर कर दिया गया था।

कड़ी सुरक्षा में रहती है शालभंजिका
-गूजरी महल म्यूजिम में प्रतिमा को कड़ी सुरक्षा में रखा गया है। इस प्रतिमा पर हमेशा पहरा रहता है और चारों ओर से सलाखों वाले केज में सुरक्षित रखा गया है।
– भारी सुरक्षा की वजह से इसे देखना भी काफी मुश्किल है। इस बारे में पुरातत्व विभाग के उप निदेशक एसआर वर्मा कहते हैं बेशकीमती और 1000 वर्ष से ज्यादा पुरानी इस प्रतिमा को सुरक्षित रखने के कई जतन करने होते हैं।

ग्यारसपुर में मिली थी शालभंजिका
– यह प्रतिमा विदिशा जिले के ग्यारसपुर गांव में कई टुकड़ों में खंडित अवस्था में मिली थी।
– सबसे पहले इस प्रतिमा को 1985 में फ्रांस की प्रदर्शनी में रखा गया था। उस वक्त इसकी कीमत 60 लाख रुपए आंकी गई थी।
– इसके बाद कई और देशों में इसे प्रदर्शित किया गया और अब इसकी कीमत करोड़ों में हैं। शालभंजिका को ग्यारसपुर लेडी भी कहा जाता है।