New Delhi/Alive News : रिपब्लिक-डे से एक दिन पहले सरकार ने पद्म पुरस्कारों का एलान किया। 89 पद्म पुरस्कारों में से 7 लोगों को पद्म विभूषण, 7 को पद्म भूषण और 75 को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। इनमें 15 आम लोग भी शामिल हैं, जो निजी तौर पर समाज को बेहतर बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। पद्मश्री पाने वालों में कई लोग ऐसे हैं, जो गुमनामी में अपना काम करते हैं और सुर्खियों से दूर रहते हैं। इन्हीं में शामिल हैं इंदौर की रहने वाली 92 साल की डॉक्टर दादी और 76 साल की सबसे उम्रदराज महिला तलवारबाज। कुछ ऐसे भी नाम हैं, जिन्हें लोग एम्बुलेंस दादा और वृक्ष पुरुष के नाम से जानते हैं। पहली बार फिल्म इंडस्ट्री से किसी हीरो-हीरोइन को जगह नहीं मिली है। जानिए क्या है इनकी कहानी…
1- डॉक्टर दादी
– 92 साल की भक्ति यादव को लोग डॉक्टर दादी के नाम से जानते हैं। वो इंदौर की पहली महिला हैं, जिन्हें एमबीबीएस की डिग्री मिली।
– डॉक्टर दादी पिछले 68 साल से (1948 से) अपने पेशेंट्स का फ्री में इलाज कर रही हैं।
– गाइनकोलॉजिस्ट डॉक्टर दादी ने हजारों बच्चों की सेफ डिलिवरी भी करवाई।
– इस उम्र में डॉक्टर दादी को चलने-फिरने में दिक्कत होती है, लेकिन वो अपने जीवन की अंतिम सांस तक पेशेंट्स का इलाज करना चाहती हैं।
2- ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कैप्टन
– शेखर इंडियन ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कैप्टन हैं। कर्नाटक के शिमोगा में जन्मे शेखर जन्म से ही दृष्टिहीन थे।
– 8 साल की उम्र में एक ऑपरेशन के बाद शेखर को धुंधला-सा दिखना शुरू हुआ। इसके बाद उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। उनकी मां ने उन्हें पूरा सपोर्ट किया। 12 साल की उम्र तक शेखर ने अपने मां-बाप को खो दिया था।
– कर्नाटक के लोकल टूर्नामेंट्स में 46 बॉल में 136 और 249 रनों की पारी खेलने वाले शेखर 2001 में अंडर-18 ब्लाइंड क्रिकेट टीम मेें चुने गए। अंडर-18 टूर्नामेंट में मैन ऑफ द सीरीज चुने गए।
– इंडिया की ब्लाइंड क्रिकेट टीम ने 2012 का टी20 वर्ल्ड कप और 2014 का वर्ल्ड कप जीता।
3- 76 साल की तलवारबाज महिला
– केरल की रहने वाली मीनाक्षी अम्मा 76 साल की हैं। उन्हें भारत की सबसे उम्रदराज महिला तलवारबाज कहा जाता है। मीनाक्षी भारतीय मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू में एक्सपर्ट हैं।
– 7 साल की उम्र से उन्होंने मार्शल आर्ट्स की क्लास लेना शुरू कर दिया था।
– वे 68 साल से ज्यादा समय से मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग दे रही हैं।
4- एम्बुलेंस दादा करीमुल
– प. बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में रहने वाले करीमुल हक को सोशल वर्क के लिए पद्मश्री दिया जाएगा। करीमुल हक को एम्बुलेंस दादा के नाम से भी जाना जाता है।
– करीमुल हक ने अपने गांव धालाबाड़ी में 24 घंटे की एम्बुलेंस सेवा शुरू की।
– करीमुल हक गरीब मरीजों को अपनी बाइक पर लेकर हॉस्पिटल पहुंचाते हैं और कई बार वो उन्हें फर्स्ट ऐड भी देते हैं।
5- वृक्ष पुरुष रमैया
– 68 साल के दरिपल्ली रमैया तेलंगाना के रहने वाले हैं।
– रमैया ने 1 करोड़ पेड़ लगाए हैं। उन्हें वृक्ष पुरुष के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने भारत को हरा-भरा बनाने की ठानी है।
– रमैया घर से निकलते वक्त बीज साथ लेकर चलते हैं और जहां भी उन्हें खाली जमीन दिखाई देती है, वो वहां प्लान्टेशन करते हैं।
6- स्वच्छता दूत
– पद्म पुरस्कार पाने वालों में पुणे के डॉक्टर मापुस्कर का नाम भी है। इन्हें स्वच्छता दूत के नाम से जाना जाता है।
– इन्होंने पुणे के देहू गांव में 1960 से ही सफाई अभियान पर जोर दिया। पूरे गांव को खुले में शौच करने से रोका और सफाई के लिए जागरूक किया। 2004 में पूरे गांव में शौचालय बना दिए गए।
7- हाई-वे मसीहा
– गुजरात के रहने वाले डॉ. सुब्रतो दास का नाम भी पद्मश्री पाने वालों में है। डॉ. सुब्रतो को मेडिसिन कैटेगिरी में पुरस्कार दिया गया है।
– डॉ. सुब्रतो को हाई-वे मसीहा के नाम से जाना जाता है। वे हाई-वे पर एक्सीडेंट में घायल होने वालों को तुरंत मेडिकल फैसिलिटी मुहैया कराते हैं।
8- फायर फाइटर
– प. बंगाल के रहने वाले बिपिन गनात्रा को सोशल वर्क कैटेगिरी में सम्मानित किया जाएगा।
– 59 साल के बिपिन वालन्टियर फायर फाइटर हैं, जो पिछले 40 साल से कोलकाता में आग लगने वाली हर जगह पर मौजूद रहते हैं और लोगों को बचाने में मदद करते हैं।
– एक हादसे में अपने भाई को खोने के बाद बिपिन ने ऐसे लोगों की मदद का बीड़ा उठाया, जो आग लगने जैसे हादसों में फंस जाते हैं।
9- चिंताकिंदी मल्लेशम
– तेलंगाना के चिंताकिंदी मल्लेशम ने लक्ष्मी ASU मशीन बनाई, जिससे पोचमपल्ली सिल्क की साड़ियां बनाने वाले कारीगरों की मेहनत और काम में लगने वाला वक्त काफी घट गया।
– 44 साल के मल्लेशम की मां पोचमपल्ली सिल्क की साड़ियां बनाती थीं। मेहनत के चलते उन्हें बहुत दर्द होता था, जिसको देखने के बाद मल्लेशम ने ये मशीन बनाई।
– पोचमपल्ली सिल्क से साड़ियां बनाने वाले 60% कारीगर इस मशीन से फायदा उठा रहे हैं।
10 – मरियप्पन थंगवेलु
– मरियप्पन ने रियो पैरालिंपिक्स 2016 में T-42 हाई जंप में गोल्ड जीता। 21 साल के मरियप्पन तमिलनाडु के रहने वाले हैं।
– मरियप्पन ने अपनी दायीं टांग एक हादसे में गंवा दी थी। उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा।