New Delhi/ Alive News: 14 जून की शाम चांद दिखने के बाद इस्लाम धर्म की पवित्र हज यात्रा प्रारंभ हो जाएगी। हज यात्रा इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने धू अल-हिज्जा में की जाती है। इस पाक महीने में इस्लाम धर्म के अनुयायी सऊदी अरब के मक्का शहर में हज यात्रा के लिए जाते हैं। इस बार हज यात्रा 14 जून से लेकर 19 जून तक की जाएगी। इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हर मुस्लिम को अपने जीवन में एक बार हज जरूर जाना चाहिए।
हज यात्रा के नियम-
इस्लाम में हज करने वाले को हाजी कहा जाता है। धुल-हिज्जा के सातवें दिन हाजी मक्का शहर पहुंचते हैं। हज यात्रा के पहले चरण में हाजी इहराम बांधते हैं। यह एक सिला हुआ कपड़ा होता है, जिसे शरीर पर लपेटते हैं। इस दौरान सफेद कपड़ा पहनना जरूरी है। महिलाएं अपनी पसंद का कोई भी सादा कपड़ा पहन सकती है। लेकिन हिजाब के नियमों का पालन करना जरूरी है।
हज के पहले दिन हाजी तवाफ (परिक्रमा) करते हैं। तवाफ करते हुए हाजी सात बार काबा के चक्कर काटते हैं। इसके बाद सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के बीच सात बार चक्कर लगाए जाते हैं। ऐसा कहते हैं कि पैगंबर इब्राहिम की पत्नी हाजिरा अपने बेटे इस्माइल के लिए पानी की तलाश में सात बार सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच सात बार चक्कर लगाए जाते हैं। ऐसा कहते हैं कि पैगंबर इब्राहिम की पत्नी हाजिरा अपने बेटे इस्माइल के लिए पानी की तलाश में सात बार सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच चली थीं। इसके बाद हाजी मक्का से आठ किलोमीटर दूर मीना शहर इकट्ठा होते हैं। यहां पर वे रात में नमाज अदा करते हैं। हज के दूसरे दिन हाजी माउंट अराफात पहुंचते हैं, जहां वो अल्लाह से अपने गुनाह माफ करने की दुआ करते हैं। फिर वे मुजदलिफा के मैदानी इलाकों में इकट्ठा होते हैं। वहां पर खुले में दुआ करते हुए पूरी एक रात ठहरते हैं।