November 19, 2024

विश्व अंगदान दिवस के दिन जानिए इसका महत्व और इतिहास

Faridabad/Alive News : अंग दान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने और अंगों को दान करने से संबंधित मिथकों को दूर करने के लिए हर साल 13 अगस्त को विश्व अंग दान दिवस मनाया जाता है। यह दिन लोगों को अधिक जीवन बचाने के लिए मृत्यु के बाद अपने स्वस्थ अंगों को दान करने के लिए प्रोत्साहित करता है। गुर्दे, हृदय, अग्न्याशय, आंखें, फेफड़े आदि जैसे अंग दान करने से अन्य लोगों के जीवन को बचाया जा सकता है। जो पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं। स्वस्थ अंगों की अनुपलब्धता के कारण कई लोगों की जान चली जाती है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को अंग दान करने के लिए प्ररित करना है।

इतिहास
आधुनिक चिकित्सा ने महत्वपूर्ण रूप से अंगों को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रत्यारोपित करना संभव बना दिया है। जो लोंगो को स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम बनाता है। पहला सफल जीवित दाता अंग प्रत्यारोपण 1954 में संयुक्त राज्य अमेरिका में किया गया था। डॉक्टर जोसेफ मरे ने 1990 में जुड़वां भाइयों रोनाल्ड और रिचर्ड हेरिक के बीच किडनी प्रत्यारोपण को सफलतापूर्वक करने के लिए फिजियोलॉजी और मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार जीता था। तभी से 13 अगस्त को को अंगदान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोग बन सकते है अंगदाता
किसी के अंग दान करना किसी को एक नया जीवन देना है, कोई भी स्वेच्छा से अंग दाता बनने के लिए अपनी उम्र, जाति और धर्म की परवाह किए बिना कर सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि स्वेच्छा से अपने अंग दान करने वाले लोग एचआईवी, कैंसर या किसी हृदय और फेफड़ों की पुरानी बीमारियों से पीड़ित ना हो। एक स्वस्थ दाता सर्वोपरि है। 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने के बाद कोई भी अंगदाता बन सकता है।


बता दें, कि भारत का अपना अंगदान दिवस है जो हर साल 27 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन सरकार भारतीय नागरिकों को स्वेच्छा से अपने अंग दान करने और जीवन बचाने के लिए प्रोत्साहित करती है।