Faridabad/Alive News : 21बी स्थित जीवा पब्लिक स्कूल मेें जीवा का 24वां स्थापना दिवस पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। विद्यालय में प्रस्तुत किए गए प्रत्येक कार्यक्रम में मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षाप्रद संदेश का समावेश रहा। छात्रों के द्वारा प्रस्तुत किए गए कार्यक्रम में कला, संस्कृति, संगीत, शिक्षा और मनोरंजन का अदï्ïभुत सामन्जस्य दिखा। कार्यक्रम को देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि जीवा शिक्षण संस्थान में छात्रों का सर्वांगीण विकास किया जाता है। यहां पर छात्रों को आधुनिक व विश्वस्तरीय शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति और शिक्षा के प्रत्येक पक्ष से अवगत कराया जाता है। इसका मुख्य कारण यही है कि छात्र शिक्षा में आधुनिकता के साथ-साथ अपनी संस्कृति की जड़ों के साथ भी जुड़े रहें।
स्थापना दिवस के इस अवसर पर विद्यालय में जो कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए उसमें विद्यालय के सिद्घान्तों को मुख्य रूप से प्रस्तुत किया। विद्यालय के मुख्य सिद्घान्त है दिनचर्या के नियम, एस.ओ.ई. और स्वाध्याय। विद्यालय द्वारा सिखाए जाने वाले ये सिद्घान्त छात्रों का विकास करने में भी सहायक होते हैं। कार्यक्रम की शुरूआत पारम्परिक ढंग से सरस्वती वंदना के साथ हुई। विद्यालय के अध्यक्ष ऋषिपाल चौहान ने दीप प्रज्जवलित किया एवं उनके साथ उपाध्यक्षा चंद्रलता चौहान, प्रधानाचार्या श्रीमती देविना निगम एवं विद्यालय की अध्यापिकाएं भी उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय में साल भर की उपलब्धिों का भी वर्णन किया गया साथ ही आयुर्वेद के महत्व को भी बताया गया। दसवीं के छात्र हिमांशु मित्तल ने एक आकर्षक गीत गाया। प्राइमरी के छात्रों ने अदï्ïभुत नृत्य प्रस्तुत किया तथा छात्राओं ने घूमर नृत्य प्रस्तुत किया। विद्यालय की तरफ से राष्टï्रीय एवं जि़ला स्तर पर खेलने वाले सर्वश्रेष्ठï खिलाडिय़ों को भी सम्मानित किया एवं बताया गया कि जीवा के छात्रों ने खेल जगत में भी अपना परचम लहराया है। कार्यक्रम के दौरान उन बच्चों के अभिभावक भी उपस्थित हुए जिन्होंने राज्य स्तर पर ट्रैफिक क्विज़ में प्रथम स्थान पाया। अभिभावकों को विद्यालय की ओर से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के सर्वश्रेष्ठï छात्रों को भी प्रशस्ति पत्र दिए गए।
इस मौके पर विद्यालय के अध्यक्ष ऋषिपाल चौहान ने सबको संबोधित करते हुए कहा कि हमारा विदï्ïयालय जब से स्थापित हुआ है, तब से लेकर आज तक जीवा स्कूल ने अपने सिद्वान्तों के बल पर सफलता पाई है। उन्होंने कहा कि हमारे सभी अध्यापक, छात्र एवं कर्मचारी अनुशासित ढंग से कार्य करते है। सभी सिद्वान्तों का पालन करते है। चौहान के अनुसार राष्टï्र की उन्नति तभी संभव है जब पूरा समाज शिक्षित एवं भाईचारे के साथ रहे। हमारा चरित्र भी उच्चकोटि का होना चाहिए क्योंकि चरित्र का पतन संपूर्ण पतन का कारण बन जाता है।