Faridabad/Alive News: जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए विश्वविद्यालय का चयन केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की प्रतिष्ठित ‘विश्वविद्यालय अनुसंधान एवं वैज्ञानिक उत्कृष्टता संवर्धन’ (पर्स) योजना के अंतर्गत हुआ है, तथा अनुदान योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय को अनुसंधान की ढांचागत व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए 7 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त होगा।
पर्स योजना के अंतर्गत देश के चुनिंदा विश्वविद्यालयों को वैज्ञानिक विकास के लिए अपने अनुसंधान ढांचे में सुधार के लिए अनुदान दिया जाता है। विश्वविद्यालय को दी जाने वाली यह एक प्रोत्साहन अनुदान योजना है जोकि विश्वविद्यालयों की शोध व्यवस्था में सुधार को लेकर केंन्द्रित है।
विश्वविद्यालय का चयन केन्द्र की प्रतिष्ठित अनुदान योजना के अंतर्गत होने पर प्रसन्नता जताते हुए प्रो. सुशील कुमार तोमर ने कहा कि इस प्रकार के प्रतिष्ठित एवं प्रतिस्पर्धी अनुदान के लिए जे.सी. बोस विश्वविद्यालय का चयन के लिए गर्व का विषय है जोकि विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षण और अनुसंधान में किये जा रहे गुणवत्तापूर्ण कार्यों को दर्शाता है। प्रो. तोमर ने पर्स अनुदान के लिए प्रयासरत टीम के समन्वयक डॉ. रवि कुमार और सह-समन्वयक डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. सूरज गोयल, डॉ. सोमवीर, डॉ. दीपांश शर्मा और अन्य सदस्यों डॉ. श्रुति मित्तल, और डॉ. पारुल गुप्ता को उनकी कड़ी मेहनत और सफलता के लिए बधाई दी है।
कुलपति ने कहा कि अनुसंधान को बढ़ावा देना विश्वविद्यालय की सर्वाेच्च प्राथमिकताओं में से एक है। विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान सहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं जिसमें अनुसंधान सलाहकार परिषद का गठन, गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य के लिए नकद पुरस्कार, और युवा शोधकर्ताओं के लिए सीड मनी का प्रावधान जैसी पहल शामिल हैं। उन्होंने पर्स अनुदान के लिए विश्वविद्यालय का चयन करने के लिए केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को भी धन्यवाद दिया है। कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने भी टीम के सदस्यों को बधाई भी दी है। इस अवसर पर डीन (संस्थान) प्रो. संदीप ग्रोवर और निदेशक (आर एंड डी) प्रो. नरेश चौहान भी उपस्थित थे।
डॉ. रवि कुमार ने विश्वविद्यालय के लिए अनुसंधान अनुदान प्राप्त करने में सफलता का श्रेय प्रो. तोमर को देते हुए उनके सहयोग एवं मार्गदर्शन के लिए उनका आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस अनुदान का उपयोग उन्नत शोध उपकरणों एवं सुविधाओं पर किया जायेगा, जिससे विश्वविद्यालय में अनुसंधान का समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा।