Faridabad/Alive News: जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के डीन स्टूडेंट वेलफेयर द्वारा जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र (जेकेएससी) के सहयोग ‘जम्मू कश्मीर में अगस्त 2019 के बाद बदलाव’ विषय पर विशेष चर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के पूर्व कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री मुख्य वक्ता रहे। प्रो. अग्निहोत्री ने धारा 370 के निरस्तीकरण को जम्मू-कश्मीर के लोगों के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया।
इस अवसर पर जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष भटनागर मुख्य अतिथि रहे। सत्र की अध्यक्षता जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुशील कुमार तोमर ने की। सत्र में कुलसचिव डाॅ. एस.के. गर्ग तथा हरियाणा मुख्यमंत्री के मीडिया कोर्डिनेटर मुकेश वशिष्ठ भी उपस्थित थे।
अपने संबोधन में प्रो. अग्निहोत्री ने उन परिस्थितियों पर प्रकाश डाला, जिसके कारण जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा हो गया और इसके लिए उन्होंने तत्कालीन नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन ब्रिटिश शासकों की एक रणनीतिक चाल थी और भारत छोड़ने से पहले उन्होंने सुनिश्चित किया कि अखंड भारत संभव न हो।
प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में ज्यादातर लोग अपने मूल अधिकारों से वंचित थे। इनमें खासकर महिलाएं, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग और ऐसे लोग शामिल है, जिन्हें धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बनना पड़ा। उनके साथ समान व्यवहार नहीं किया जा रहा था। लेकिन 5 अगस्त, 2019 को संसद द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, ऐसे सभी लोगों को एक बड़ी राहत मिली क्योंकि अब भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से लागू हो गया है। अब उनके पास भारत के सामान्य नागरिकों के समान अधिकार हैं।
इससे पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. एस.के. तोमर ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में समृद्धि आई है। लद्दाख में पहला विश्वविद्यालय स्थापित हुआ है। इससे क्षेत्र में शैक्षणिक क्रांति आ रही है। पहले इन इलाकों के लोग सामाजिक और राजनीतिक रूप से अलग-थलग थे और अब वे भी मुख्यधारा शामिल हो रहे हैं।