January 30, 2025

इसरो का 100वां मिशन: नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-2 का सफल प्रक्षेपण

National/Alive News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार सुबह श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी रॉकेट के जरिए नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-2 का सफल प्रक्षेपण किया। यह इसरो का 100वां मिशन था। इसरो अध्यक्ष वी नारायणन ने कहा कि इसरो भले ही 46 साल में 100वां मिशन पूरा कर पाया है, लेकिन इसरो के मिशन का अगला शतक आने वाले पांच सालों में लगेगा।

इसरो ने अब तक 548 उपग्रहों को कक्षाओं में स्थापित किया है, जिसमें 120 टन का पेलोड और 433 विदेशी उपग्रहों का 23 टन शामिल है। इसरो अगले पांच साल में 200 का आंकड़ा पूरा कर सकती है और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के उतरने की क्षमता विकसित करने की सरकार की कल्पना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाएगी।

उपग्रह एनवीएस-2 के सफल प्रक्षेपण के दौरान इसरो अध्यक्ष के तौर पर अपने पहले मिशन को लेकर वी नारायणन ने कहा कि अगले पांच वर्षों में 100 प्रक्षेपण करना संभव है। उन्होंने कहा कि इसरो ने रॉकेट के पुर्जों को साइकिल और बैलगाड़ी पर ले जाने के युग से लेकर चंद्रमा तक अपनी पहुंच बनाने तक का सफर तय करके इतिहास रचा। अब यह दुनिया की सबसे प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है। इसरो अब विदेशी विक्रेताओं के लिए भी वाणिज्यिक प्रक्षेपण कर रही है। इसरो सूर्य और चंद्रमा में भी प्रवेश कर चुका है।

इसरो अध्यक्ष वी नारायणन ने कहा कि अब तक इसरो ने प्रक्षेपण वाहनों की छह पीढ़ियां विकसित की हैं। इसमें पहली पीढ़ी 1979 में प्रोफेसर सतीश धवन के मार्गदर्शन में और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की परियोजना निदेशक के रूप में विकसित हुई थी। यह एसएलवी-3 ई1/रोहिणी प्रौद्योगिकी पेलोड था।
नारायणन ने कहा कि 46 साल बाद इसरो ने 548 उपग्रहों को कक्षाओं में स्थापित किया है। इसमें 120 टन का पेलोड, 433 विदेशी उपग्रहों का 23 टन शामिल है।

इसरो अध्यक्ष ने उपग्रह एनवीएस 2 की सफलता के बाद भविष्य के मिशनों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में नासा के साथ इसरो के सहयोगात्मक प्रयास से निसार मिशन को प्रक्षेपित किया जाएगा। वहीं अंतरिक्ष एजेंसी एनजीएलवी परियोजना पर काम कर रही है। अंतरिक्ष विभाग के सचिव नारायणन ने कहा कि नासा-इसरो के संयुक्त सहयोग से सिंथेटिक अपर्चर रडार उपग्रह मिशन (निसार) को अगले कुछ महीनों में प्रक्षेपित किये जाने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि यह नासा और इसरो के बीच संयुक्त सहयोग है। इसमें दो रडार हैं। एक एल बैंड रडार (इसरो द्वारा विकसित) और एस बैंड रडार, जिसे नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला द्वारा विकसित किया गया है। इसे यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (बंगलूरू) में एकीकृत और परीक्षण किया गया है। अब इस उपग्रह को श्रीहरिकोटा लाने की तैयारी की जा रही है।

इसरो अध्यक्ष ने कहा कि भारत को अपना स्वयं का उपग्रह बनाने के लिए अभी कई नेविगेशन उपग्रह की जरूरत है। अभी चार उपग्रह परिचालन में हैं और आज पांचवें उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया है। हमें तीन और के लिए मंजूरी मिल गई है। हम अगले पांच से छह महीनों में एक उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना बना रहे हैं। नारायणन ने कहा कि इसरो को अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान एनजीएलवी बनाने के लिए भी केंद्र से मंजूरी मिल गई है।

उन्होंने कहा कि यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और संचालन तथा 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के उतरने की क्षमता विकसित करने की सरकार की कल्पना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। एनजीएलवी की एलवीएम3 की तुलना में 1.5 गुना लागत के साथ वर्तमान पेलोड क्षमता का 3 गुना होगी और इसकी पुन: उपयोगिता भी होगी। उन्होंने कहा कि हम गगनयान कार्यक्रम के तहत मानवरहित जी1 मिशन की तैयारी में बहुत अच्छी प्रगति कर रहे हैं और इस साल कुछ और प्रयोग करने का लक्ष्य रखा गया है।

इसरो अध्यक्ष ने चेन्नई से लगभग 600 किमी दूर तमिलनाडु के कुलसेकरपट्टिनम में एक लॉन्च पैड स्थापित करने के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अभी हम सुविधाएं बना रहे हैं और निर्माण कार्य पूरा होने के दो साल के भीतर वहां नियमित रूप से प्रक्षेपण किए जाएंगे।
इसके अलावा सरकार ने श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) में तीसरा लॉन्च पैड के निर्माण को मंजूरी दी है। इस परियोजना पर कुल लागत 3,985 करोड़ रुपये की आएगी। इस लॉन्च पैड से इसरो के ‘नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल’ (एनजीएलवी) के लिए आवश्यक लॉन्च ढांचा तैयार किया जाएगा।

इसरो अध्यक्ष ने कहा कि इसरो द्वारा भविष्य में किए जाने वाले अन्य प्रक्षेपणों में एक एलवीएम3-एम5 प्रक्षेपण एक वाणिज्यिक मिशन होगा शामिल है। इसमें ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रहों को लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के लिए न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) और मेसर्स एएसटी स्पेसमोबाइल इंक, यूएसए के बीच एक वाणिज्यिक समझौता किया गया है। श्रीहरिकोटा में एलवीएम3 वाहन प्रणाली उपलब्ध है और मार्च 2025 में प्रस्तावित प्रक्षेपण के लिए वाहन एकीकरण शुरू हो गया है।