आज अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है। दुनियाभर में भाषा एक ऐसा साधन है, जो लोगों को एक दूसरे से जोड़ता है और उनकी संस्कृति को प्रदर्शित करता है। एक देश में कई मातृभाषा हो सकती हैं। भारत में ही 122 ऐसी भाषाएं हैं, जिनको बोलने वालों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। वहीं 29 भाषाएं ऐसी हैं, जिन्हें 10 लाख लोग बोलते हैं।
भाषाओं में हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, पंजाबी, अरबी, जापानी, रूसी, पुर्तगाली, मंदारिन और स्पैनिश बोली जाती हैं। विश्व में भाषाई व सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए और कई मातृभाषाओं के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से प्रति साल 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।वर्ष 1999 में यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया था। पहली बार इस दिन को मनाने की शुरुआत बांग्लादेश ने की थी।
बाद में वर्ष 2000 से विश्व भर में यह दिन मनाया जाने लगा। जब 1947 में भारत से अलग होकर पाकिस्तान बना तो भौगोलिक रूप से दो हिस्सों में बांटा गया। पहला -पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा पश्चिमी पाकिस्तान। पाकिस्तान ने उर्दू में देश की मातृभाषा घोषित किया। लेकिन पूर्वी पाकिस्तान में बांग्ला भाषा अधिक होने के कारण उन्होंने बांग्ला को अपनी मातृभाषा बनाने के लिए संघर्ष शुरू किया। बाद में पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बन गया। 21 फरवरी को उनका संघर्ष पूरा हुआ और बांग्लादेश की वर्षगांठ भी इसी दिन से मनाई जाने लगी। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2023 की थीम ‘बहुभाषी शिक्षा- शिक्षा को बदलने की आवश्यकता’ है।