Faridabad/Alive News : आजादी के दिवानों की शरणस्थली रहे इंद्रप्रस्थ गुरूकुल के 100 साल के इतिहास में पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पहुंचे, उपेक्षाओं का शिकार हुए देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले गुरूकुल का शताब्दी दिवस समारोह मनाया गया। पहली बार गुरुकुल पहुंचे हरियाणा के मुख्यमंत्री और हिमाचल के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गुरूकुल के लिये जलघर का उद्घाटन किया।
मंच पर पहुंचने के बाद सीएम और राज्यपाल का गुरूकुल के पदाधिकारियों द्वारा भव्य स्वागत भी किया गया। गुरूकुल इन्द्रप्रस्थ की स्थापन सन 1916 में वैदिक संस्कृति के महान आर्य संस्कृति के ध्वजवाहक स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा की गयी थी। जिस वक्त देश गुलामी की जंजीरो में जकडा हुआ था, इस दौरान गुरूकुल में आजादी के दिवाने सुभाष चन्द्र बौस और उनके साथी गुप्त गुफा में बैठकर आजादी की योजनायें बनाते थे, इस बीच सुभाष चन्द्र बौस को 8 दिनों तक इसी गुरूकुल में अज्ञातवास काटना पडा था। इस गुरूकुल से आजादी का नाम जुडा हुआ।
गुरूकुल के बारे में जानकारी देते हुए हिमाचल के राज्यपाल आचार्या देवव्रत ने कहा कि गुरूकुलों ने हमेशा से ही अच्छे संस्कारवान युवक व युवतियों का निर्माण किया है, इसी क्रम को आगे बढाने के लिये आज गुरूकुल का शताब्दी दिवस मनाया गया है ताकि समारोह में पहुंचे लोग यहां से एक प्रेरणा लेकर जायें ताकि हम अपने देश को बेहतर समाज दे सकें।
वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि आर्य समाज ने गुरूकुलों के माध्यमों से देश में जो भी कार्य किये हैं वो साराहनीय कार्य है, इतना ही नहीं इंद्रप्रस्थ गुरूकुल एक मात्र ऐसा स्थान है जहां आजादी के समय आंदोलन को सुचारू रखने के लिये इसी गुरूकुल में भूमिका बनाने का मौका मिला था।
खट्टर ने कहा कि संस्कृत भाषा को बढावा देने के लिये उन्होंने गुरूकुल के समाने एक प्रावधान रखा है कि अगर गुरूकुल संस्कृत में विश्वविद्यालय बनाना चाहे तो हरियाणा सरकार उनकी मदद करेगी। वहीं सीएम ने अपनी सन 1981 की यादों को ताजा करते हुए कहा कि उन्होंने इसी गुरूकुल में आज से 36 साल पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के रूप में एक शिविर लगाया था जिसके लिये उन्हें यहा दो दिन रूकने का मौका मिला था।